NSE Phone Tapping Case: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के कर्मचारियों के कथित अवैध फोन टैपिंग और स्नूपिंग से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चित्रा रामकृष्ण को जमानत दे दी और कहा कि प्रथम दृष्टया यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि वह दोषी नहीं हैं। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने एनएसई के पूर्व प्रबंध निदेशक को एक लाख रुपये के निजी मुचलके (Bond) और इतनी ही राशि की दो जमानतदार पर जमानत दी।
करीब सात महीने तक हिरासत में रही एनएसई के पूर्व प्रबंध निदेशक
अदालत ने कहा, “प्रथम दृष्टया यह मानने के उचित आधार हैं कि आवेदक अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहने के दौरान उसके कोई अपराध करने की आशंका नहीं है…आवेदन स्वीकार किया जाता है और आवेदक को जमानत दी जाती है।” इस मामले में चित्रा रामकृष्ण करीब सात महीने तक हिरासत में रही थीं।
कोर्ट ने कहा- धन छिपाए जाने का भी कोई आरोप सामने नहीं आया
अदालत ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि याचिकाकर्ता ने कोई संपत्ति या अपराध की आय अर्जित की है या प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त, मेरे सामने ऐसा कोई आरोप या सबूत पेश नहीं किया गया, जिससे यह पता चले कि याचिकाकर्ता ने अपराध की किसी भी आय को बेदाग संपत्ति के रूप में छुपाया, अपने पास रखा, इस्तेमाल किया, पेश किया या दावा किया।’’
मामला ‘हाईफ्रीक्वेंसी’ कारोबार में कुछ इकाइयों को तरजीह देने से जुड़ा है
मार्च 2022 में गिरफ्तारी के बाद लगभग सात महीने तक हिरासत में रहने के बाद उन्हें पिछले साल सितंबर में उच्च न्यायालय ने सीबीआई के मामले में जमानत दे दी थी। कथित एनएसई ‘को-लोकेशन’ घोटाले में पूर्व में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार की गईं रामकृष्ण को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल 14 जुलाई को वर्तमान मामले में गिरफ्तार किया था। ‘को-लोकेश’ मामले में कारोबारियों को एनएसई परिसर में सर्वर लगाने की अनुमति दी गई थी। यह मामला ‘हाईफ्रीक्वेंसी’ कारोबार में कुछ इकाइयों को कथित रूप से आंकड़ा प्राप्त होने में तरजीह देने से जुड़ा है।
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने मौजूदा मामले में उनकी जमानत याचिका का इस आधार पर विरोध किया था कि वह साजिश के पीछे “मुख्य साजिशकर्ता” थीं। ईडी के अनुसार, फोन टैपिंग का मामला 2009 से 2017 की अवधि से संबंधित है जब एनएसई के पूर्व सीईओ रवि नारायण, रामकृष्ण, कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि और प्रमुख (परिसर) महेश हल्दीपुर और अन्य ने एनएसई और उसके कर्मचारियों को धोखा देने की साजिश रची थी।