BIS की सख्ती से चीनी कंपनियों को एक और झटका, चाइनीज फोन आयात मंजूरी लटकी, इन कंपनियों को बड़ा नुकसान
सूत्रों के मुताबिक, दुनियाभर की कंपनियों की तरफ से आयात की 643 एप्लिकेशन रजिस्ट्रेशन के लिए लंबित हैं। इनमें 394 आवेदन 20 दिन से ज्यादा समय से लटके हैं।

भारत और चीनी सेना के बीच जून में गलवान घाटी में हुई खूनी मुठभेड़ का दूरगामी असर अब दिखने लगा है। लद्दाख से लगी एलएसी पर चीन के आक्रामक रवैयेय के बाद से ही भारत सरकार लगातार व्यापार के जरिए चीन को घेरने की कोशिश में जुटी है। ताजा मामला चीनी कंपनियों से जुड़े आयातित उत्पादों और पुर्जों का है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के सूत्रों के मुताबिक, भारत में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) ने पिछले कुछ हफ्तों में चीनी कंपनियों के मोबाइल फोन के पुर्जे और टीवी के आयात को मंजूरी देने में देरी की है। इसके चलते श्याओमी और ओप्पो जैसी फर्मों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
बीआईएस के निदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने इस मामले में जवाब नहीं दिया। चीन के विदेश और वाणिज्य मंत्रालय ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं, श्याओमी और ओप्पो की तरफ से भी कोई बयान नहीं आया है। दूसरी तरफ भारतीय वाणिज्य मंत्रालय ने भी इस पर कुछ नहीं कहा।
एक अधिकारी ने बताया कि भारत और चीन के बीच हालिया समय में रिश्ते खराब हुए हैं। ऐसे में भारत की तरफ से चीन के किसी भी निवेश प्रस्ताव को मंजूरी मिलना काफी मुश्किल है। अधिकारी ने कहा कि हम अब पहले की तरह व्यापार नहीं कर सकते।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार अब नई स्टैंडर्ड पॉलिसी तैयार कर रही है, जिसका अगस्त के अंत तक ऐलान हो सकता है। इसके जरिए चीन और बाकी देशों से आने वाले कमजोर क्वालिटी वाले उत्पादों पर रोक लगाई जाएगी। लेकिन इन बदलावों की वजह से फिलहाल चीनी कंपनियों को आयात के लिए मिलने वाली मंजूरी में भी रुकावट आ रही है।
बता दें कि बीते कुछ महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत योजना का आह्वान किया है। ऐसे में भारतीय उद्योग अब घरेलू उत्पादों की बिक्री बढ़ाने पर ही ध्यान दे रहे हैं। मौजूदा समय में भारत में बिके हर 10 में से 8 फोन श्याओमी और ओप्पो कंपनी के होते हैं। यह दोनों ही कंपनियां अपने मॉडल भारत में असेंबल करती है, लेकिन इनके कलपुर्जे चीन से ही आयात होते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, भारत में शुक्रवार तक दुनियाभर की कंपनियों की तरफ से आयात की 643 एप्लिकेशन रजिस्ट्रेशन के लिए लंबित हैं। इनमें 394 आवेदन 20 दिन से ज्यादा समय से लटके हैं। हालांकि, बीआईएस की वेबसाइट में यह नहीं कहा गया है कि इनमें कितनी चीनी कंपनियां हैं।