सीमा विवाद के बीच बौखलाए चीन ने भारत को धमकाते हुए कहा है कि व्यापार संबंध को कमजोर करने से दोनों देशों को नुकसान पहुंचेगा। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद आर्थिक मोर्चे पर चीन के बहिष्कार को लेकर भारत में मांग उठने लगी थी। ‘रायटर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी राजदूत ने कहा कि चीन भारत के लिए एक रणनीतिक खतरा नहीं था और दोनों देश एक दूसरे के बिना कुछ भी नहीं हैं।
चीनी राजदूत का यह बयान सरकार के चीनी व्यापारिक हितों पर प्रतिबंध लगाने उन्हें दरकिनार करने के बाद आया है। चीनी राजदूत सन वेईडोंग ने ट्विटर पर लिखा, “चीन ऐसे संबंधों की वकालत करता है जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो और किसी का नुकसान ना हो। हमारी अर्थव्यवस्था एक-दूसरे की पूरक और एक-दूसरे पर निर्भर है। इसे जबरदस्ती कमजोर करना ट्रेंड के विपरीत जाना है। इससे दोनों देशों को सिर्फ नुकसान ही होगा।”
चीनी राजदूत सन वेईडोंग ने कहा, चीन कोई विस्तारवादी ताकत या रणनीतिक खतरा नहीं है। दोनों देशों के बीच सदियों से शांतिपूर्ण रिश्ते रहे हैं। हम कभी भी आक्रामक नहीं रहे और ना ही किसी देश की कीमत पर अपना विकास किया है। वहीं भरता के अलावा अब अमेरिका, ब्रिटेन, ताइवान और ऑस्ट्रेलिया खुलकर चीन के खिलाफ आए हैं।
अमेरिका और चीन के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, जुलाई की शुरुआत में ही अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने चीन को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा ‘खतरा’ बताया था। जुलाई में ही अमेरिका ने टेक्सास के ह्यूस्टन स्थित चीनी कॉन्सुलेट को बंद करने का आदेश दे दिया था। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि चीन ‘इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी’ चुरा रहा था। बदले में चीन ने भी चेंगड़ू स्थित अमेरिकी कॉन्सुलेट को बंद कर दिया है।
इसके अलावा ब्रिटेन ने 5G नेटवर्क से चीनी कंपनी को हटाया है। ब्रिटेन ने 5जी नेटवर्क से चीन की हुवावे कंपनी को हटा दिया था। प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन के इस फैसले के बाद ब्रिटेन के सर्विस ऑपरेटर्स पर हुवावे के नए 5जी इक्विपमेंट खरीदने पर पाबंदी लग गई है। साथ ही ऑपरेटर्स को अपने नेटवर्क से 2027 तक हुवावे की 5जी किट भी हटानी होगी। वहीं अमेरिका पहले ही आरोप लगा चुका है कि हुवावे के 5जी नेटवर्क के जरिए चीन जासूसी करता है।