73rd Anniversary Of The Establishment Of The Supreme Court: सिंगापुर के प्रधान न्यायाधीश सुंदरेश मेनन (Chief Justice of Singapore Sundaresh Menon) ने शनिवार को कहा कि विवादों की ‘‘जटिलता’’ की समस्या के समाधान के लिए न्यायपालिका केवल पारंपरिक तरीकों पर निर्भर नहीं रह सकती है और इसे दूर करने के लिए कट्टर सुधारवादी तरीकों (Radical Ways To Overcome) को अपनाना होगा। भारत के सर्वोच्च न्यायालय की 73वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘‘बदलती दुनिया में न्यायपालिका की भूमिका (The Role of the Judiciary in a Changing World)’’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति मेनन ने कहा कि विवादों के बेहतर तरीके से निपटारे के लिए न्यायाधीशों को विदेशी कानूनों में हो रहे बदलावों के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता होगी।
न्यायपालिका के विफल होने से कानून के शासन को खतरा
उन्होंने कहा, ‘‘विवादों की जटिलता की समस्या को सुलझाने के लिए पारम्परिक मुकदमा प्रबंधन उपायों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता। न्यायपालिका को विवादों को कम करने या क्षमता के वास्तविक संकट का सामना करने के लिए नये और कट्टर सुधारवादी तरीकों का इस्तेमाल करना होगा।’’ न्यायमूर्ति मेनन ने कहा, ‘‘अगर न्यायपालिका विफल होती है, तो यह कानून के शासन के ठप होने की दिशा में ले जाएगा, लेकिन अगर न्यायपालिका हमारे ऊपर मंडरा रहे लंबे संकट से निपटने में सफल होती है, तो वे अपने समाज का मार्गदर्शन करने में मदद कर सकती हैं।’’
दुनिया में सबसे व्यस्ततम न्यायालय है भारत का सर्वोच्च न्यायालय
भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का इतिहास भारतीय लोगों के दैनिक जीवन के संघर्षों का इतिहास है। उन्होंने कहा, ‘‘अदालत के लिए कोई बड़ा या छोटा मामला नहीं है – हर मामला महत्वपूर्ण है।’’ यह देखते हुए कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय दुनिया में सबसे व्यस्ततम न्यायालय है, सिंगापुर के प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि भारत के न्यायाधीश सबसे कठिन स्थिति में काम करने वाले न्यायाधीशों में शुमार हैं, क्योंकि उनके पास मुकदमों का बोझ बहुत अधिक है।
न्यायमूर्ति मेनन ने कहा कि जब न्यायपालिका अच्छी तरह से काम करती है, तो यह व्यवस्था के विभिन्न हिस्सों को एकजुट बनाये रखने के लिए एक गोंद के रूप में कार्य करती है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को प्रौद्योगिकी की विशाल क्षमता पर भी ध्यान देना चाहिए। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजय किशन कौल ने इस अवसर पर स्वागत भाषण दिया, जबकि न्यायमूर्ति के एम जोसेफ ने धन्यवाद ज्ञापन किया।