राष्ट्रीय परीक्षा एजंसी (एनटीए) ने यह निर्णय भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइआइटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआइटी) और केंद्रीय वित्त पोषित प्रौद्योगिकी संस्थानों (सीएफटीआइ) में दाखिला पाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए जेईई-मुख्य को लेकर पात्रता मानदंड में ढील देने की निरंतर मांगों की पृष्ठभूमि में आया है। जेईई-मुख्य में बैठने के लिए संबंधित शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित बारहवीं कक्षा की परीक्षा में कम से कम 75 फीसद अंकों की आवश्यकता होती है।
सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सीयूईटी-पीजी को अपनाना चाहिए : यूजीसी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों से अगले शैक्षणिक सत्र से साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा स्नातकोत्तर (सीयूईटी-पीजी) अंगीकार करने का आग्रह किया है। सीयूईटी-स्नातक के विपरीत सीयूईटी-स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य नहीं है। एक परीक्षा होने से विद्यार्थियों के लिए व्यापक पहुंच सुगम होती है और विभिन्न केंद्रीय एवं भागीदार विश्वविद्यालयों में दाखिला प्रक्रिया का हिस्सा बनने का अवसर प्राप्त होता है। शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए सीयूईटी पीजी का आयोजन एक से 10 जून तक आयोजित किया जाएगा।
स्नातक, स्नातकोत्तर में तकनीकी वस्त्र डिग्री कार्यक्रम के लिए दिशानिर्देश जारी
सरकार ने नए स्नातक एवं स्नातकोत्तर तकनीकी वस्त्र डिग्री कार्यक्रमों और निजी व सार्वजनिक संस्थानों को तकनीकी वस्त्रों में कुशल बनाने के साथ मौजूदा पारंपरिक डिग्री कार्यक्रमों को अद्यतन करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। तकनीकी वस्त्रों में प्रशिक्षु सहायता अनुदान के लिए सामान्य दिशानिर्देशों (जीआइएसटी) के तहत संबंधित विभागों के बीटेक विद्यार्थियों को प्रशिक्षुता देने पर चुनी गई कंपनियों को प्रति विद्यार्थी प्रति माह 20,000 रुपए तक का अनुदान भी दिया जाएगा।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘इसमें सार्वजनिक वित्त पोषित और एनआईआरएफ रैंकिंग वाले निजी संस्थान भी शामिल होंगे। तकनीकी वस्त्रों में पूर्ण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम को 20 करोड़ और स्नातक के लिए 10 करोड़ रुपए की सहायता दी जाएगी। स्नातक स्तर पर एक अनिवार्य विषय और कुछ ऐच्छिक विषयों के लिए 7.5 करोड़ तक का अनुदान दिया जा सकता है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जनवरी को करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जनवरी को ‘परीक्षा पे चर्चा’ के तहत विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत करेंगे। ‘परीक्षा पे चर्चा’ का आयोजन नई दिल्ली में तालकटोरा स्टेडियम में होगा। प्रधानमंत्री ने साल 2018 में पहली बार इस कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों, शिक्षकों व अभिभावकों के साथ संवाद किया था। इसके बाद से हर साल प्रधानमंत्री ‘परीक्षा पे चर्चा’ करते हैं। शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ के लिर 38.80 लाख हिस्सेदारों ने पंजीकरण कराया है, जिसमें 31.24 लाख विद्यार्थी, 5.60 लाख शिक्षक और 1.95 लाख अभिभावक शामिल हैं।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एआइ का निशुल्क पाठ्यक्रम
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कंप्यूटर विज्ञान विभाग में कृत्रिम बौद्धिमत्ता (एआइ) पर एक विशेष प्रशिक्षण और प्रमाणन कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। यह कार्यक्रम फरवरी से जुलाई 2023 तक चलाया जाएगा। इसमें भाग लेने के लिए पंजीकरण 12 से 25 जनवरी 2023 तक किये जा सकते हैं। पाठ्यक्रम में 100 सीटे हैं और इसमें प्रवेश परीक्षा के आधार पर चयन किया जाएगा। इच्छुक लोग आनलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं।
प्रशिक्षण निशुल्क है और सभी प्रतिभागी जो प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करते हैं, उन्हें एक प्रमाण पत्र प्राप्त होगा। यह कार्यक्रम कामकाजी पेशेवरों को एप्लाइड साइंटिस्ट और डेटा साइंटिस्ट के रूप में करिअर बनाने के लिए प्रशिक्षित करने के लिए चलाया जाएगा। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम नैसकाम की ओर से सुझाए गए ढांचे पर आधारित है।
एक साथ दो पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के लिए सुगम व्यवस्था बनाएं विश्वविद्यालय
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को अपने विधिक निकायों के जरिए ऐसी व्यवस्था तैयार करने को कहा है जिससे विद्यार्थियों के लिए एक साथ दो पाठ्यक्रमों की पढ़ाई सुगम हो सके। यह निर्देश ऐसे समय सामने आया है, जब यूजीसी ने विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआइ) द्वारा स्थानांतरण प्रमाणपत्र या स्कूल परित्याग प्रमाणपत्र पर जोर दिए जाने के कारण पेश आने वाली परेशानियों पर संज्ञान लिया।
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों को लिखे एक पत्र में कहा कि यूजीसी के संज्ञान में यह बात सामने आई है कि स्थानांतरण प्रमाणपत्र या स्कूल परित्याग प्रमाणपत्र पर जोर दिए जाने के कारण विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन प्रमाणपत्रों के अभाव में विद्यार्थियों को दाखिला नहीं मिल पाता है और दो अकादमिक कार्यक्रम एक साथ करने की सुविधा का मकसद विफल होता है। विश्वविद्यालयों को अपने विधिक निकायों के माध्यम से सुविधाजनक व्यवस्था तैयार करनी चाहिए ताकि विद्यार्थियों के लिए एक साथ दो पाठ्यक्रमों की पढ़ाई सुगम हो सके।