सिर्फ 15 मिनट का मुश्किल भरा पल और भारत के पकड़ में चांद, अमेरिका, रूस और चीन के बाद इतिहास रचने को तैयार भारत
Chandrayaan-2 Moon Landing: इसरो के अध्यक्ष के सिवन इसे चंद्रयान -2 की यात्रा के सबसे भयानक 15 मिनट के रूप में वर्णित कर रहा है। चंद्रयान -2 अभी जिस ओरबिट में है वहां से चंद्रमा की सतह सिर्फ 35 किमी दूरी पर है।

Chandrayaan-2 landing: श्रीहरिकोटा में लॉन्च पैड से उड़ान भरने के एक महीने बाद चंद्रयान -2 ने अपने निर्धारित मार्ग पर 3,84,000 किमी से अधिक की दूरी तय कर ली है। अब यह चंद्रमा की सतह के करीब पहुंच रहा है। विक्रम नामक इसका लैंडर मॉड्यूल, जो पहले से ही मुख्य अंतरिक्ष यान से अलग हो गया है पिछले तीन दिनों से स्वतंत्र रूप से घूम रहा है। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन इसे चंद्रयान -2 की यात्रा के सबसे मुश्किल 15 मिनट के रूप में वर्णित कर रहा है। चंद्रयान -2 अभी जिस ओरबिट में है वहां से चंद्रमा की सतह सिर्फ 35 किमी दूरी पर है।
लैंडर विक्रम जो मुख्य अंतरिक्ष यान से शनिवार सुबह 1.30 बजे अलग हो गया था। लैंडर 6 किमी प्रति सेकंड (लगभग 21,600 किमी प्रति घंटे) की रफ्तार से यात्रा कर रहा है। यह हवाईजहाज की औसत गति से लगभग 30 से 40 गुना अधिक है, जो आमतौर पर 500 से 900 किमी प्रति घंटे की गति से यात्रा करते हैं। विक्रम को सुरक्षित लैंडिंग को सक्षम करने के लिए अपनी गति को 15 मिनट के भीतर 2 मीटर प्रति सेकंड (लगभग 7 किमी/घंटा) के बराबर या उससे नीचे लाना होगा।
यदि यह सफल रहा, तो यह चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सॉफ्ट लैंडिंग होगी। इससे पहले केवल अमेरिका, रूस (पूर्व यूएसएसआर) और चीन ही चांद पर इंसानों या मशीनों को उतारने में सफल रहे हैं। चंद्रयान 2 की अभी तक यात्रा काफी बेहतर रही है लेकिन यह देखना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है कि सिवन द्वारा चंद्रयान के अंतिम पड़ाव का विवरण पूरी यात्रा के सार को दर्शाता है।
दरअसल अभी पांच महीने पहले, इस साल अप्रैल में, इजरायल ने चंद्रमा पर एक सॉफ्ट लैंडिंग करने का प्रयास किया था जिसमें वह विफल रहे थे। उनका बेरेसेट अंतरिक्ष यान लैंडिंग के वक्त धीमा नहीं हो सका। यह चंद्रमा की सतह से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। फ्लाईबीज, ऑर्बिटर्स, लैंडर्स, रोवर्स और मानव लैंडिंग सब को मिलकर अब तक चंद्रमा पर कुल 109 मिशनों में से 41 ही असफल रहे हैं। लेकिन 1990 के बाद से बेरेसेट एकमात्र असफलता रही।
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