Chandrayaan 2: विक्रम खो गया तो कोई बात नहीं, मिशन अभी खत्म नहीं हुआ! जानिए क्या है वजह
Chandrayaan 2: चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर अभी भी पूरी तरह 'फिट' है। यह ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा।

Chandrayaan 2: चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय शुक्रवार देर रात जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। संपर्क तब टूटा, जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने कहा कि काफी देर तक संपर्क करने की कोशिश भी की गई लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। देश को इस सॉफ्ट लैंडिंग से बेहद उम्मीदें थी लेकिन ये नहीं हो सकी। खैर ‘विक्रम’ खो गया तो कोई बात नहीं लेकिन मिशन अभी खत्म नहीं हुआ है। इसके पीछे एक वजह है ‘ऑर्बिटर।’
चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर अभी भी पूरी तरह ‘फिट’ है। यह ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच संपर्क करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। इसके साथ ही इमेजिंग आइआरएस स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से वहां मौजूद पानी और अन्य तत्वों का पता लगा सकता है। ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है। जो वहां की बारीकियों को समझने में मददगार साबित हो सकती हैं।
बता दें कि चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थे – ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान। फिलहाल लैंडर-रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है, लेकिन ऑर्बिटर की उम्मीदें अभी कायम हैं। चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ भारत का पहला मिशन था जो स्वदेशी तकनीक की मदद से चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था।
लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था। इसरो के अध्यक्ष केÞ सिवन ने कहा, ‘‘विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा। इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया। आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।’’