सौम्यरेंद्र बारिक
सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा पारित पांच प्रमुख पर्यावरण से जुड़े फैसलों के चलते सरकार को 2018 के मध्य से 2021 के मध्य तक 8,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। इन फैसलों से कम से कम 75,000 लोगों पर प्रभाव पड़ा है और लगभग 16,000 कर्मचारियों की नौकरी चली गई। बता दें कि नीति आयोग द्वारा कमीशन की गई एक रिपोर्ट में यह अनुमान बताया गया है।
आयोग की रिपोर्ट में पांच फैसलों का जिक्र किया गया है। जिसमें शीर्ष अदालत से जुड़े तीन फैसले हैं। इसमें गोवा में लौह अयस्क खनन को रोकना, तमिलनाडु में स्टरलाइट कॉपर के तूतीकोरिन संयंत्र को बंद करना और गोवा में मोपा हवाई अड्डे पर रोक लगाना शामिल है। वहीं एनजीटी से जुड़े दो फैसलों में रेत खनन प्रतिबंध मामला और दिल्ली-एनसीआर में निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाना शामिल है।
दरअसल नीति आयोग द्वारा कमीशन की गई रिपोर्ट का नाम ‘सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ऑफ इंडिया के चुनिंदा फैसलों का आर्थिक प्रभाव’ है। इसके अनुसार पांच फैसलों के बाद उद्योग को राजस्व में करीब 15,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वहीं श्रमिकों को लगभग 500 करोड़ रुपये की आय का नुकसान हुआ।
बता दें कि इस रिपोर्ट को पहली बार 2019 में कमीशन किया गया था और इसे नीति आयोग की वित्तीय सहायता से अंतिम रूप दिया गया। इसे जयपुर स्थित नीति अनुसंधान और एडवोकेसी ग्रुप CUTS इंटरनेशनल द्वारा तैयार किया गया। जिसने इस जून में सरकारी थिंक-टैंक को रिपोर्ट सौंपी थी।
गोवा में लौह अयस्क खनन पर पाबंदी: 2018 में पारित एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने लौह अयस्क की खदान के लिए वेदांत लिमिटेड के ठेके को रद्द कर दिया था। जिसे तत्कालीन गोवा सरकार ने 2014 में नवीनीकृत किया था। उच्चतम न्यायालय ने खनन कंपनियों को सभी खनन कार्यों को तब तक रोकने का निर्देश दिया था जब तक कि उन्हें नई पर्यावरणीय मंजूरी और पट्टे नहीं मिल जाते।
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक इस बैन के चलते राज्य का सार्वजनिक ऋण 2007 से 2021 तक 10.06 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा। जबकि राज्य द्वारा लिए गए बाजार ऋण 19.93 फीसदी के सीएजीआर से वृद्धि हुई। इसके चलते खनन कंपनियों द्वारा भुगतान किए गए टैक्स में केंद्रीय और राज्य के राजस्व में कुल मिलाकर 668.39 करोड़ रुपये का अनुमानित घाटा हुआ। जबकि राज्य के राजस्व में खास तौर पर 1,821.32 करोड़ रुपये का अनुमानित घाटा हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हवाईअड्डे के निर्माण पर अदालती रोक और कोविड-19 में निर्माण कार्यों में लगी रोक के चलते हवाई अड्डे के पहले चरण की लागत 1,900 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,615 करोड़ रुपये हो गई है।
वहीं तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर प्लांट को 2018 में राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बंद कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने बाद में स्टरलाइट को राहत देने से इनकार कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके चलते कई लोग बेरोजगार हो गये और उनकी मासिक आय में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी आई।