केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) पूर्व कुलपति नसीम अहमद पर कार्रवाई करना चाहती थी। नसीम अहमद भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हुए हैं। लेकिन सरकार ने सीबीआई को इस कार्रवाई की इजाजत नहीं दी है। दरअसल नसीम अहमद उत्तरप्रदेश में स्थित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हैं।
1972 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी अहमद पर आरोप है कि उन्होंने साल 2005 में विश्वविद्यालय में एक अधिकारी की नियुक्ति में गड़बड़ी की है। नसीम अहमद साल 2002 से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वीसी हैं। अहमद साल 2014-2017 के बीच नसीम अहमद National Commision For Minorities के अध्यक्ष भी रहे।
नसीम अहमद पर भ्रष्टाचार के लगे आरोपों को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने राष्ट्रपति को लिखित रूप अपनी दरख्वास्त भेजी थी। जिसमें कहा गया था कि ‘विश्वविद्यालय में असिस्टेंट फाइनेंस ऑफिसर (AFO) के पद पर शाकिब अरसालन की नियुक्ति के मामले में वो नसीम अहमद के खिलाफ जांच करना चाहती है। राष्ट्रपति को बताया गया था कि शाकिब इस पद के लिए आए कुल 22 आवेदनों में से चुने गए योग्य 9 उम्मीदवारों की लिस्ट में शामिल नहीं थे।’
यहां आपको याद दिला दें कि अपनी शुरुआती जांच के बाद सीबीआई ने यह भी कहा था कि ‘सीए की जिस डिग्री के आधार अरसालन को इस पद से लिए सबसे योग्य बताते हुए नियुक्त कर दिया उसी सीए की डिग्री वाले एक अन्य उम्मीदवार को बाहर कर दिया गया। यही नहीं, अरसालन ने एएमयू के सामने झूठा दावा किया कि उसे सीए में 55 फीसदी अंक मिले थे। जांच में पाया गया कि उसे कम अंक मिले थे और बाहर किये उम्मीदवार के सीए में ज्यादा अंक थे।’
इसके बाद राष्ट्रपति की तरफ मानव संसाधान विभाग ने इस मामले में CVC से सलाह मांगी थी। यह सलाह अगस्त के महीने में HRD मिनिस्ट्री की तरफ से मांगी गई थी। जिसके बाद CVC ने कहा था कि इस मामले में नसीम अहदम के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं है इसलिए इस मामले की जांच कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है।
