सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय से संबंधित Artificial Intelligence Committee ने सरकार को डेटा बिल के बारे में जरुरी सुझाव दिये थे। यह सुझाव साइबर सुरक्षा, कानूनी और सैद्धांतिक मुद्दों से संबंधित थे। केंद्रीय कैबिनेट ने IT मंत्रालय के पर्सनल डेटा बिल को मंजूरी तो दी लेकिन अब कहा जा रहा है कि बिल के कई मूलभूत बातों को सरकार ने पलट दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डेटा बिना रोक टोक के इस्तेमाल किया जाए।

आपको बता दें कि आईटी मंत्रालय ने फरवरी 2018 में रिसर्च और Artificial Intelligence की संरचना के निर्माण के लिए चार कमेटियां बनाई थीं। बीते गुरुवार (05-12-2019) को राज्यसभा में आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने सभी चार कमेटियों से मिले ड्राफ्ट को अपने वेबसाइट पर पब्लिश कर दिया है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भारत IT- BPM (Business Process Management) सेवा के लिए सबसे बेहतरीन सोर्स है। डेटा के इस्तेमाल पर किसी भी प्रकार की पाबंदी भारत में आर्थिक तौर पर बुरा असर डालेगी। इसलिए देश में Artificial Intelligence के विकास के लिए जरुरी है कि देश में डेटा का इस्तेमाल बेरोक-टोक जारी रहे। जिस बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिली है वो उसमें निजी डाटा (आर्थिक और स्वास्थ्य से संबंधित) को लीक होने से बचाने के लिए जरुरी कदम उठाए जाने की बात कही गई है।

क्रिटिकल निजी डेटा को स्टोर करने की बात कही गई है। बिल का जो मसौदा सरकार ने अपने वेबसाइट पर डाला था उसके मुताबिक़ आम लोगों के निजी डेटा के सही और पारदर्शी इस्तेमाल की ज़िम्मेदारी सरकारी और प्राइवेट एजेंसियों पर सौंपी गई है, जो डेटा का इस्तेमाल करने वाले हैं। जिस बिल को सरकार ने मंजूरी दी है उसके मुताबिक उपभोक्ता की बिना जानकारी या चोरी करके उसके डेटा का इस्तेमाल करना अब दोनों ही तरह की एजेंसियों को भारी पड़ने वाला है। बिल में ऐसी हरकत के लिए ऐसा करने वाली एजेंसियों पर 15 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।

कमेटी ने लोगों के संपूर्ण निजी डाटा को देश से बाहर ले जाने को सीमित बनाने की सिफारिश करते हुए कहा था कि सभी तरह के संवेदनशील या क्रिटिकल डाटा को देश के भीतर किसी सर्वर या डाटा सेंटर में रखना जरुरी है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में दस तरह के संवेदनशील निजी डाटा की पहचान की है। इनमें जाति और जनजाति से संबंधित जानकारियां या डाटा भी शामिल है।

इनके अलावा पासवर्ड, वित्तीय डाटा, स्वास्थ्य संबंधी डाटा, आधिकारिक पहचान पत्र, लोगों के सेक्स लाइफ से जुड़े डाटा, बायोमीट्रिक व जेनेटिक डाटा, ट्रांसजेंडर स्टेट्स और धर्म व राजनीतिक झुकाव से जुड़ा डाटा भी शामिल है। समिति ने ऐसे और भविष्य में इस श्रेणी में आने वाले सभी तरह के क्रिटिकल डाटा को कानून के दायरे में लाते हुए उसे भारत में ही रखने को सुनिश्चित किया है। जबकि नॉन क्रिटिकल निजी डाटा की एक कॉपी कंपनियों के लिए भारत में रखना अनिवार्य करने की बात कही गई है।

जबकि सरकार ने जिस बिल को मंजूरी दी है उसमें आर्थिक और स्वास्थ्य से संबंधित डेटा को विदेशों में स्टोर किये जाने पर सरकार ने पाबंदी लगाई है जबकि सरकार की अनुमति लेकर संवदेनशील निजी डेटा को एनालइज किया जा सकता है।