मुंबई की एक अदालत ने कहा कि एक महिला को भी आईपीसी की धारा 354 के तहत दोषी ठहराया जा सकता है। कोर्ट का कहना था कि 354 का मतलब केवल सेक्सुअल एक्ट ही नहीं है। एक महिला अगर दूसरी महिला का मान मर्यादा को ठेस पहुंचाती है तो उसे इस सेक्शन के तहत सजा मिलनी चाहिए।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एमवी चव्हान ने अपने फैसले में मुंबई की एक महिला को 354 सेक्शन के तहत 1 साल की कैद और छह हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। दरअसल, मुंबई की एक सोसायटी में दो महिलाओं के बीच हुए विवाद के बाद ये मामला कोर्ट में पहुंचा था। हालांकि आरोपी महिला ने ये दलील भी दी कि उसके तीन बच्चे हैं। इनमें से 1 की उम्र केवल 1.5 साल है। लेकिन कोर्ट का कहना था कि ये बात तर्कसंगत नहीं है।
कोर्ट का कहना था कि 354 के तहत पुरुष या महिला किसी को भी दोषी ठहराया जा सकता है। अगर आरोपी ने एक महिला की मान और मर्यादा को ठेस पहुंचाने की कोशिश की हो। कोर्ट का कहना था कि 354 का मतलब केवल यौन उत्पीड़न से ही जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। साल 2020 में हुए मामले के मुताबिक जिस महिला को सजा मिली उस पर आरोप है कि उसने एक दूसरी महिला से विवाद में न केवल उसके कपड़े फाड़ दिए। बल्कि उसकी पिटाई भी की।
सोसायटी के ही दो लोगों ने आरोपी महिला के खिलाफ गवाही दी थी। उनका कहना था कि वो दोनों उस वक्त मौके पर मौजूद थे। हालांकि आरोपी महिला का कहना था कि पुलिस ने जो केस दर्ज किया वो केवल उसे परेशान करने के लिए किया गया। उसका कहना था कि दोनों गवाहों की बात झूठी है। शिकायतकर्ता महिला की पिटाई की बात को भी उसने गलत ठहराया।
आरोपी महिला के वकील का कहना था कि मेडिकल रिपोर्ट में कहीं पर भी पिटाई की बात सामने नहीं आई। कोर्ट धारा 324 को हालांकि सही नहीं माना। कोर्ट का कहना था कि कहीं पर भी हथियार के इस्तेमाल की बात सामने नहीं आई। लेकिन गवाहों का कहना है कि आरोपी ने दूसरी महिला पर चप्पलों से हमला किया था। लिहाजा धारा 323 बनती है।