भाजपा प्रवक्ता बोले, ज़हर की खेती करने वाले कबसे हो गए किसान? राकेश टिकैत ने कहा- पता चल जाएगा कौन असली किसान
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी किसानों आंदोलन खत्म करने के लिए राजी नहीं हैं और उन्होने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के पास जान से भी इंकार कर दिया है। टीवी न्यूज़ चैनल 'आज तक' के दंगल शो में इसको लेकर बहस हो रही थी। तभी भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हम बातचीत का रास्ता अपना राहे हैं। लेकिन ज़हर की खेती करने वाले कबसे हो गए किसान?

दिल्ली से सटी सीमाओं पर केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीनों से हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी किसानों आंदोलन खत्म करने के लिए राजी नहीं हैं और उन्होने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के पास जान से भी इंकार कर दिया है। टीवी न्यूज़ चैनल ‘आज तक’ के दंगल शो में इसको लेकर बहस हो रही थी। तभी भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हम बातचीत का रास्ता अपना राहे हैं। लेकिन ज़हर की खेती करने वाले कबसे हो गए किसान?
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा “कांग्रेस के प्रवक्ता क्या कह रहे हैं। मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है। क्या ये सर्वोच्च न्यायालय को कातिल बता रहे हैं। ये लोग किस तरह की कमेटी का गठन चाहते हैं। हम लोग बातचीत का रास्ता अपना राहे हैं। आगे भी बातचीत करते रहेंगे। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हम सम्मान करते हैं और इसी तरह से नागरिकों को भी करना चाहिए।”
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा “राकेश जी आप लोग एक आंदोलन कर रहे हैं आपकी आड़ में अगर भारत विरोधी ताक़तें भारत में सेंध लगाएंगी तो आप भी खुद को मांफ नहीं कर पाएंगे। गणतंत्र दिवस के दिन आंदोलन की जगह देश को मजबूत करिए। आपके कंधे से किसी की बंदूक ना चले इसका ध्यान रखिए।”
गौरव भाटिया ने कहा “सरजील इमाम, उमर खालिद ये कब से किसान हो गए। ये खेती करते हैं नफरत की जहर की। देश विरोधी गतिविधियां करते हैं इनको किसान बता के मांग करेंगे कि इनको छोड़ जाये। इंका किसान आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है।”
इसपर राकेश टिकैत ने कहा “हमारी इंटेलिजेन्स इतनी कमजोर है क्या कि बाहर के लोग आ जाये और उन्हें पकड़ नहीं सकती। हम कहा माना कर रहे हैं जो गलत है उसको पकड़ो। ये कह रहे हैं कि यहां खालिस्तानी, पाकिस्तानी हैं। 26 तारीख को हमारे नौजवान ट्रैक्टर में देश का झंडा लेकर आगे चलेंगे। पता चल जाएगा कौन असली है। जब पुलिस प्रशासन रोकेगा, पानी का इस्तेमाल करेगा तब पता चलेगा की झंडे को कौन नोचता था। इनकी यही विचारधारा है।”
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए चार सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसानों का कहना कि वे किसी भी कमेटी के पास नहीं जाएंगे और अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य सरकार समर्थक हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले अगले आदेश तक विवादास्पद कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी। इसके साथ ही केंद्र और दिल्ली की सीमाओं पर कानून को लेकर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया।
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