मंडल-कमंडल की राजनीति (MANDAL-KAMANDAL politics) के बाद देश के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आया है। लेकिन अब दो दशक बाद बीजेपी (BJP) इसे बदलने की कोशिश कर रही है और नया समीकरण खड़ा करने की कोशिश कर रही है। दरअसल अब बीजेपी महिलाओं को साधने का काम कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अकसर देश की ‘नारी शक्ति’ का आह्वान किया है और महिलाओं को भाजपा के ‘मूक मतदाता’ (Silent Voter) के रूप में पहचाना है। उन्होंने अपने 2022 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में ‘महिलाओं का सम्मान’ करने का आह्वान किया। पिछले अप्रैल में भाजपा स्थापना दिवस (BJP Foundation Day) पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि महिलाओं के लिए सरकार की नीतियों और कल्याणकारी उपायों ने उन्हें आत्मविश्वास दिया है और उन्हें वफादार भाजपा मतदाता बनाया है।
कुछ राज्यों के चुनावों में पुरुषों को पीछे छोड़ते हुए महिला मतदाताओं का मतदान बढ़ रहा है। बीजेपी का मानना है कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में सत्ता में शानदार वापसी का यह एक कारण था क्योंकि राज्य के चुनावों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी। इसलिए पार्टी के नेताओं का कहना है कि 2024 के आम चुनावों की राह पर सरकार द्वारा महिलाओं को लक्षित और अधिक कार्यक्रम और योजनाएं हो सकती हैं, जो “मास्टरस्ट्रोक” साबित हो सकती हैं।
इसे लेकर साफ संकेत मिल रहे हैं। पार्टी नेताओं को पीएम मोदी के स्थायी निर्देशों में से एक यह है कि राज्य चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची में महिलाओं का मजबूत प्रतिनिधित्व होना चाहिए। जब भी पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (Central Election Committee) की बैठक होती है तो पीएम मोदी हमेशा पूछते हैं कि कितनी महिलाओं को टिकट दिया गया है। पार्टी के एक नेता ने कहा, “इसलिए सूची पेश करने से पहले नेता पहले ही स्पष्ट कर देते हैं कि इसमें इतनी महिलाएं शामिल हैं।”
त्रिपुरा में, जहां 16 फरवरी को मतदान होना है, वहां भाजपा के 55 उम्मीदवारों में से 11 महिलाएं हैं, जिसमें प्रतिमा भौमिक भी शामिल हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि प्रतिमा भौमिक, जो धनपुर से चुनाव लड़ेंगी, वह भाजपा के जीतने पर पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री भी हो सकती हैं। इससे वह पूर्वोत्तर में पहली महिला मुख्यमंत्री बन जाएंगी। इस कदम से क्षेत्र में महिला मतदाताओं को एक मजबूत संदेश भेजा जाएगा, जहां उनकी सामाजिक स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में औसतन अधिक है।