संसद के काम-काज को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) पोलित ब्यूरो बृंदा करात ने नरेंद्र मोदी सरकार पर जुबानी वार किया है। उनका आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) संसद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा की तरह चलाने की कोशिश कर रही थी।
दुमका स्थित सर्किट हाउस से मीडिया को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल से पूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा, “संसद को चलाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, पर हाल ही में हमने देखा कि सत्तारूढ़ बीजेपी उसे आरएसएस शाखा की तरह चलाने की कोशिश कर रही थी। हम संसद के साथ ऐसा नहीं होने देंगे या फिर इसे गुरुदक्षिणा के लिए ऐसी जगह नहीं बनने देंगे, जहां नरेंद्र मोदी के भाषण पर सिर्फ ताली बजेगी। विपक्ष को विश्वास में लिए बगैर बिजनेस एजेंडा (व्यापार एजेंडा) को अंतिम रूप दे दिया गया और भाजपा ने अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश में संसद की कार्यवाही बाधित कर दी।”
बृंदा ने भाजपा पर संसद के दोनों सदनों में बहुमत का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया। कहा, सत्ता पक्ष अपने बहुमत का दुरुपयोग संसद के भीतर प्रमुख मुद्दों पर बहस करने के बजाय विपक्ष की आवाजों को दबाने के लिए अहंकार और अत्याचार के एक उपकरण के रूप में कर रहा था। यह एक शर्मनाक था कि बाहर के लोगों को सांसदों के साथ मारपीट करने के लिए मार्शल के रूप में बुलाया गया था।
बकौल करात, “यह विपक्ष नहीं बल्कि केंद्र का अहंकार था, जिसे गतिरोध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। पेगासस के इस्तेमाल पर चर्चा की जगह केंद्र ने अहम मुद्दों पर विपक्ष की मांग को आसानी से नकार दिया। अगर यह सरकार विपक्ष को दबाने का प्रयास करेगी, तब हम मुद्दों को लेकर सड़क पर भी आ जाएंगे।”
उधर, सीपीआईएम राष्ट्रीय स्तर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ गठजोड़ के लिए तैयार है। हालांकि, पार्टी के सीताराम येचुरी ने यह भी साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी का ममता के दल के साथ बंगाल और त्रिपुरा में कोई गठबंधन नहीं होगा।