संसद का जो दिन कभी मिस नहीं करते उसमें भी नहीं पहुंचे गृह मंत्री, दिल्ली चुनाव नतीजों के बाद सामने नहीं आए अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ही दिल्ली चुनावों में पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। इसलिए चुनाव नतीजों के दिन उनका संसद नहीं पहुंचना, लोगों को कौतूहल में डाल रहा था। इस वजह से उन्होंने केंद्रीय बजट पर बहस के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब को भी नहीं सुना।

केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष बजट सत्र के पहले चरण के आखिरी दिन संसद से गायब रहे। खास बात ये है कि यह वो दिन था जब बीजेपी को दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। गृह मंत्री अमित शाह ही दिल्ली चुनावों में पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। इसलिए चुनाव नतीजों के दिन उनका संसद नहीं पहुंचना, लोगों को कौतूहल में डाल रहा था। इस वजह से उन्होंने केंद्रीय बजट पर बहस के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब को भी नहीं सुना।
खास बात है कि मंगलवार का दिन लोकसभा में गृह मंत्रालय से जुड़े प्रश्नकाल का दिन था, जिसमें भाग लेने से अमित शाह ने कभी मिस नहीं किया। वो अमूमन इस दिन संसद में होते ही हैं लेकिन मंगलवार को ऐसा नहीं हो सका। जब उनकी जगह गृह राज्यमंत्री सदन में सवालों का जवाब दे रहे थे, तब विपक्षी खेमा बीजेपी कैम्प से व्यंगात्मक रूप से बार-बार पूछ रहा था, ‘कहां हैं अमित शाह?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के मंगलवार को आए नतीजों के मुताबिक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी (आप) ने सत्ता बरकरार रखने के साथ-साथ 2015 के प्रदर्शन को करीब-करीब दोहराया है। पार्टी को 70 सदस्यीय विधानसभा में 62 सीटों पर जीत मिली है जबकि भाजपा ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की है। आम आदमी पार्टी को 2015 में 67 सीटों पर जीत मिली थी। चुनाव आयोग की ओर से घोषित अंतिम नतीजों के मुताबिक आप ने 53.57 फीसदी मतों के साथ कुल 62 सीटों पर जीत दर्ज की है। भाजपा को 38.51 प्रतिशत मत और आठ सीटों पर जीत मिली। वहीं, कांग्रेस लगातार दूसरी बार दिल्ली विधानसभा में अपना खाता नहीं खोल सकी।
परिणामों के मुताबिक भाजपा के दो निवर्तमान विधायकों सहित कुल 44 निवर्तमान विधायक अपनी सीटें बचाने में कामयाब रहे। भाजपा के विजेंदर गुप्ता (रोहिणी) और ओ पी शर्मा (विश्वास नगर) अपनी अपनी सीटें बरकरार रखने में कामयाब रहे। दोनों को 12,000 से अधिक और 16,000 से अधिक मतों से जीत मिली। गांधीनगर से पूर्व विधायक अनिल कुमार वाजपेयी भी अपनी सीट बरकरार रखी लेकिन इसबार वह आम आदमी पार्टी (आप) के बजाय भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे।
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