भाजपा सांसद का मोदी सरकार पर निशाना, बोले- आसुरी राज हमारा आदर्श नहीं; रात में ही निकलता है कोरोना
किसान आंदोलन पर बोले स्वामी- "गर्मी का मौसम आ रहा है, पांच महीने से धरने पर बैठे हजारों किसानों और उनके परिवारों पर क्रूर दबाव को खत्म करे मोदी सरकार।"

भाजपा से राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी अब लगातार अपनी ही पार्टी पर हमला बोल रहे हैं। कोरोनावायरस के हालात और वैक्सीन पर मोदी सरकार को घेर चुके स्वामी ने शुक्रवार को फिर ट्वीट्स के जरिए सवाल उठाए। उन्होंने कोरोना और किसान आंदोलन को लेकर कुछ सवाल किए। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए यहां तक कह दिया कि हमारा आदर्श राम राज्य है, न कि आसुरी राज।
किसान आंदोलन पर क्या बोले स्वामी?: सुब्रमण्यम स्वामी ने कृषि कानूनों को लेकर धरने पर बैठे किसानों का मुद्दा उठाया। उन्होंने ट्वीट में कहा, “जैसे गर्मी का मौसम आ रहा है, मेरी मोदी सरकार से अपील है कि वह पांच महीने से धरने पर बैठे हजारों किसानों और उनके परिवारों पर इस क्रूर दबाव को खत्म करें।” उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को राज्यवार विकल्प भी बनाया जा सकता है, जैसा कि मैंने अपने तीन बिंदुओं वाले एक हल में बताया था। हमारा आदर्श राम राज्य है, न कि आसुरी राज।
कोरोना पर पीएमओ से ही पूछ लिए सवाल: राज्यसभा सांसद ने कोरोना मुद्दे पर पीएमओ से दो सवाल पूछे और खुद ही उनके जवाब दे दिए। पहले सवाल में उन्होंने नाइट कर्फ्यू के फैसले पर तंज कसा। इसमें उन्होंने पहले सवालिया अंदाज में कहा, “कर्फ्यू रात 8 बजे से सुबह 7 बजे तक क्यों?” फिर खुद ही जवाब में कहा, “गर्मी आने के साथ तापमान बढ़ने लगता है। कोरोनावायरस को ठंड में निकलने की आदत है। इसलिए कर्फ्यू लगाया गया है।”
दूसरे सवाल में उन्होंने फिर लिखा, “क्या कुंभ मेला सुरक्षित है?” इसके जवाब में स्वामी ने लिखा, “हां, कोरोना भगवान से डरता है और भगवान की पूजा करने के लिए इकट्ठा हुए लाखों पर हमला नहीं करता है।”
मोदी समर्थकों को गंधभक्त बता चुके हैं स्वामी: बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब स्वामी ने कोरोना को लेकर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है। इसस पहले जब देश में कोरोना के केस 90 हजार के पार चले गए थे, तब स्वामी ने मोदी समर्थकों को अंधभक्त और गंधभक्त तक करार दे दिया था। उन्होंने ट्वीट में ही लिखा था- “पिछले साल अप्रैल में जब कोरोनावायरस के केस 1 लाख रोजाना आ रहे थे और फिर नवंबर में 10 हजार तक गिर गए, तब इसका अंधभक्तों और गंधभक्तों ने इसका श्रेय किसे दिया था? अब फिर कोरोना के केस फिर से एक लाख के करीब आ चुके है, तो इसका श्रेय कौन लेगा?”