श्रीलंका संग ECT समझौता रद्द होने पर बोले भाजपा सांसद- अडानी हैं जिम्मेदार, केंद्र दे स्पष्टीकरण
बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि अखबार 'बिजनेस लाइन' के मुताबिक श्रीलंकाई सरकार ने त्रिपक्षीय समझौते और ईस्ट कंटेनर टर्मिनल डील न हो पाने के लिए अडानी समहू को जिम्मेदार ठहराया है।

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि अखबार ‘बिजनेस लाइन’ के मुताबिक श्रीलंकाई सरकार ने त्रिपक्षीय समझौते और ईस्ट कंटेनर टर्मिनल डील न हो पाने के लिए अडानी समहू को जिम्मेदार ठहराया है। ये डील कोलंबो पोर्ट के लिए की गई थी। श्रीलंका ने कहा कि अहम आर्थिक पहलुओं को लेकर अडानी समूह ने अपना रुख नहीं बदला जिस चलते डील नहीं हो सकी थी। स्वामी ने कहा कि मामले में भारत सरकार या अडानी समूह को सफाई देनी चाहिए।
खबर के मुताबिक श्रीलंका ने मई 2019 में जापान और भारत के साथ सहयोग के लिए किए गए त्रिपक्षीय समझौते को खत्म किए जाने के लिए अडानी समूह को जिम्मेदार ठहराया है। ये समझौता श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पोर्ट में ईस्ट कंटेनर टर्मिनल (ECT) को विकसित करने के लिए किया गया था। श्रीलंका ने कहा कि अडानी समूह ने देश द्वारा तय किए गए नियमों को मानने में अपना रुख नहीं बदला। श्रीलंका के कैबिनेट दस्तावेजों से ये जानकारी सामने आई है।
दस्तावेजों के मुताबिक 27 और 28 जनवरी को श्रीलंका की कैबिनेट नियुक्त वार्ता समिति द्वारा आयोजित वार्ता के दौरान, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड , जिसे कि भारत सरकार द्वारा ECT को विकसित करने के लिए नोमिनेट किया गया था, ने कहा कि कोलंबो इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल्स लिमिटेड (CICT) के लिए तय शर्तें,दरें, रॉयल्टी और लीज भुगतान ECT के लिए भी लागू की जाएं।
According to Business Line front page four column news, Sri Lanka Government has blamed Adani, the Trapese Artist, for the collapse of the East Container Terminal deal for Colombo Port due to failure to adhere to key financial clauses. Either Adani or GoI should clarify.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) February 25, 2021
बता दें कि चीन की सरकारी मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स कंपनी लिमिटेड के पास CICT में 85 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह एक संयुक्त उद्यम टर्मिनल है जो श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (SLPA) के साथ काम कर रहा है।
हालांकि अडानी समूह की इस मांग को CANC ने खारिज कर दिया और 1 फरवरी को श्रीलंकाई कैबिनेट द्वारा इसका समर्थन किया गया।
श्रीलंका के पोर्ट्स एंड शिपिंग मंत्रालय के मुताबिक श्रीलंका ने अडानी समूह को समझाया था कि CICT के लिए प्रस्ताव को 2009 की मंदी के दौरान संसाधित किया गया था। ब्रेकवाटर का निर्माण किया जा रहा था और निवेशकों को निर्माण के साथ-साथ CICT के निर्माण के शुरू होने की उम्मीद भी थी।