बुलंदशहर हिंसा: बीजेपी विधायक बोले- पुलिस फायरिंग में हुई इंस्पेक्टर सुबोध की मौत, बजरंग दल की कोई भूमिका नहीं
भाजपा विधायक ने दावा किया कि पुलिस ने उनकी हत्या जान-बूझकर नहीं की थी। मुझे संदेह है कि इंस्पेक्टर की मौत पुलिस की गोली से ही हुई है। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पत्थर जरूर फेंके हैं लेकिन गोलियां नहीं चलाई हैं। वे वहां पर गोलियों के साथ नहीं गए थे।

बुलंदशहर हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत में बजरंग दल के सदस्यों का नाम आने पर भाजपा ने सवाल खड़े किए हैं। यूपी की रोहनिया सीट से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने पीटीआई से बातचीत में दावा किया कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई है। उन्होंने कहा कि ये घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी। पुलिस ने उनकी हत्या जान-बूझकर नहीं की थी। मुझे संदेह है कि इंस्पेक्टर की मौत पुलिस की गोली से ही हुई है। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पत्थर जरूर फेंके हैं लेकिन गोलियां नहीं चलाई हैं। वे वहां पर गोलियों के साथ नहीं गए थे।
बता दें कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की सोमवार (3 दिसंबर, 2018) को बुलंदशहर में हत्या कर दी गई थी। इस दौरान स्थानीय युवक सुमित कुमार की भी गोली लगने से मौत हुई थी। पुलिस ने भी मामले में ढिलाई न बरतते हुए एफआईआर दर्ज की है। यूपी पुलिस के उपनिरीक्षक सुभाष चंद्र की ओर से दर्ज एफआईआर में कुल 27 लोगों को नामजद किया गया है। इसके अलावा 50-60 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है। मामले के मुख्य आरोपी स्थानीय हिंदूवादी नेता योगेश राज को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस की एफआईआर में उस दिन के पूरे घटनाक्रम के बारे में भी बताया गया है।
पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, दिनांक 3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर जिले के स्याना थाना क्षेत्र के अन्तर्गत महाव के जंगल में गोकशी की घटना की सूचना मिली थी। सूचना मिलने पर पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार, उपनिरीक्षक सुभाष चंद्र, हेड कांस्टेबल शीशराम सिंह, हेड कांस्टेबल वीरेंद्र सिंह, कांस्टेबल अमीर आलम, कांस्टेबल शैलेंद्र, कांस्टेबल जितेंद्र कुमार, कांस्टेबल प्रेमपाल, होमगार्ड दिनेश सिंह के साथ मौके पर गए थे। पुलिस के पास टाटा सूमो यूपी 13 एजी 0452 थी, जिसे हेडकांस्टेबल रामआसरे चला रहा था।

एफआईआर में बताया गया कि जब पुलिस महाव गांव स्थित घटनास्थल पर पहुंची तो भीड़ लगी हुई थी। भीड़ में मुख्य आरोपी योगेश राज समेत 27 नामजद और 50-60 लोग, जिनमें महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल थे। मौके पर उपस्थित भीड़ ने पुलिस को देखते ही विरोध शुरू कर दिया। प्रभारी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने लोगों को समझाने की कोशिश की। लेकिन भीड़ ने उन पर हमला कर दिया।

पथराव के बाद योगेश राज और अन्य लोगों के नेतृत्व में उत्पाती भीड़ ने दोपहर करीब 1.35 बजे चिंगरावठी चौकी के सामने हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान एसडीएम और क्षेत्राधिकारी स्याना लगातार उग्र भीड़ को माइक पर समझाते रहे। उन्हें स्याना कोतवाली चलकर एफआईआर की कॉपी लेने के लिए भी कहा गया। लेकिन नामजद आरोपी उन्हें भड़काते रहे। बाद में ग्रामीणों ने एकजुट होकर पुलिस पर हमला बोल दिया।

एफआईआर के मुताबिक, ग्रामीणों ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को गोली मार दी। इसके बाद भीड़ उनकी निजी लाइसेंसी पिस्टल, तीन मोबाइल फोन भी छीन ले गई। ग्रामीणों ने वायरलैस सेट को तोड़ दिया और चौकी में जमकर तोड़फोड़ की। इसके बाद उत्पाती ग्रामीणों ने थाने में खड़े सरकारी और निजी वाहनों में आग लगा दी। इसके बाद मालखाने को भी फूंक दिया गया। ऐसी स्थिति देखकर क्षेत्राधिकारी स्याना जब चौकी के कमरे में बचने के लिए घुसे तो भीड़ ने मारो-मारो का शोर करते हुए उन्हें कमरे में बंद कर दिया और चौकी में आग लगा दी।
हालात बिगड़ते देखकर घायल इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को पुलिस सरकारी वाहन में लेकर अस्पताल के लिए जाने की कोशिश में जुट गई। लेकिन उग्र भीड़ ने भयंकर हमला कर दिया। जबकि सामने स्थित कॉलोनी के लोगों ने अपने घरों के खिड़की-दरवाजे भी बंद कर लिए। कमरे में बंद क्षेत्राधिकारी स्याना ने फोन करके अतिरिक्त फोर्स की मांग की। इसके बाद कई थानों के फोर्स ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा तोड़कर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। इसके बाद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को सीएचसी लखावटी (औरंगाबाद) ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
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