scorecardresearch

कैंब्रिज में दिए बयान को लेकर राहुल गांधी पर केस दर्ज करवाने पहुंचे थे बीजेपी नेता, बनारस की कोर्ट ने कहा ‘नहीं’

एडवोकेट शशांक शेखऱ त्रिपाठी ने ये याचिका 156 (3) CrPC के तहत लगाई थी। उनका कहना था कि राहुल गांधी ने लंदन में मौजूद केंब्रिज विवि में RSS की तुलना आतंकी संगठन से की थी। इससे संघ के 10 करोड़ स्वयं सेवकों को झटका लगा है।

Rahul Gandhi| congress|
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Express Photo by Shuaib Masoodi)

राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज करवाने की मांग को लेकर बनारस की कोर्ट पहुचे बीजेपी नेता को झटका लगा है। बीजेपी नेता का कहना था कि राहुल के लंदन में दिए बयान से देश की साख पर गहरा बट्टा लगा है। कोर्ट ने कहा कि ये बयान फ्रीडम ऑफ स्पीच की सीमा की उल्लंघना नहीं करता। बनारस की कोर्ट ने संविधान का हवाला देकर याचिका को खारिज कर दिया।

एडवोकेट शशांक शेखऱ त्रिपाठी ने ये याचिका 156 (3) CrPC के तहत लगाई थी। उनका कहना था कि राहुल गांधी ने लंदन में मौजूद केंब्रिज विवि में RSS की तुलना आतंकी संगठन से की थी। इससे संघ के 10 करोड़ स्वयं सेवकों को झटका लगा है। ACJM उज्जवल उपाध्याय ने कहा कि संविधान में मौजूद फ्रीडम ऑफ स्पीच को दिए अधिकार की राहुल के बयान में कोई अवहेलना नहीं की गई है। लिहाजा उन पर कोई आरोपी साबित नहीं होता।बीजेपी नेता की मांग थी कि राहुल गांधी पर IPC के सेक्शन 120B, 147, 153A, 295A, 295 के तहत केस दर्ज किया जाए। लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि संविधान में हर शख्स को जो अधिकार दिए गए हैं राहुल ने उससे इतर कोई बात नहीं की।

गुजरात की कोर्ट ने राहुल को सुनाई है दो साल की सजा

राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मोदी सरनेम (उपनाम) को लेकर उनके खिलाफ चल रहे मानहानि केस में कोर्ट ने उन्हें दोषी करार ठहराते हुए 2 साल की सजा सुनाई है। राहुल गांधी ने यह टिप्पणी 2019 में कर्नाटक में लोकसभा चुनाव के दौरान की थी। राहुल गांधी को ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। इस दौरान उनपर यह सजा लागू नहीं होगी। इसका मतलब हुआ है कि कोर्ट ने उन्हें एक महीने की जमानत दे दी है। राहुल गांधी को 2 साल की सजा मिलने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता पर भी संकट गहरा गया है।

क्या कहता है कानून

जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर किसी भी सांसद या विधायक को किसी मामले में 2 या 2 साल से अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं। इस कानून की धारा 8(3) में कहा गया है कि अगर किसी सांसद को दोषी ठहराया जाता है और दो साल से कम की कैद की सजा नहीं होती है तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है।

पढें राष्ट्रीय (National News) खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News)के लिए डाउनलोड करें Hindi News App.

First published on: 23-03-2023 at 23:06 IST
अपडेट