तीन महीने पहले ही शुरू हो गए थे दिल्ली दंगे, हिंसा भड़काने के आरोप पर कपिल मिश्रा की सफाई
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने अपने ऊपर हेट स्पीच देने और टूल किट डालने के आरोप को भी गलत बताया। कहा कि हम कोई टूलकिट पोस्ट नहीं करते हैं। हम केवल साधारण मुद्दों पर बात करते हैं।

भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने अपने ऊपर दंगों के भड़काने के आरोप को सिरे से नकारते हुए कहा कि यह सब सिर्फ प्रोपेगंडा है। कहा कि हमारे जिस भाषण के बाद दंगे फैलने के आरोप लगाए जा रहे हैं उसके तीन महीने पहले ही दिल्ली में दंगा शुरू हो चुका था। बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने सभी आरोपों को गलत बतयाा। जब उनको उनके इस बयान “डीसीपी साहब ट्रंप के जाने के बाद आप जाफराबाद और चांदबाग खाली करा लीजिए, ऐसी आपसे विनती है, उसके बाद हम किसी की नहीं सुनेंगे।” की याद दिलाई गई और पूछा गया कि क्यों न आपके बयान को उत्तेजित करने वाला माना जाए?
इस पर कपिल मिश्रा ने कहा, “दिल्ली में दंगे तो दिसंबर 2019 में ही शुरू हो गए थे, जब जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बसें जलाई गई थीं। फिर दिसंबर में ही सीमापुरी में आईपीएस ऑफिसर को मारा गया। दिसंबर 2019 में ही सीलमपुर में स्कूल की बस जला दी गई। ये सब बातें तीन महीने पहले की है।”
उन्होंने उत्तर पश्चिमी दिल्ली के मंगोलपुरी इलाक़े में रिंकू शर्मा नाम के एक युवक की हत्या के मामले मेें कहा कि उसका संबंध आरएसएस और बजरंग दल से था, इसलिए उसकी हत्या कर दी गई। हालांकि दिल्ली पुलिस ने उसकी हत्या के पीछे आपसी रंजिश का मामला बताया था।
उन्होंने अपने ऊपर हेट स्पीच देने और टूल किट डालने के आरोप को भी गलत बताया। कहा कि हम कोई टूलकिट पोस्ट नहीं करते हैं। हम केवल साधारण मुद्दों पर बात करते हैं। कहा कि हम अपने धर्म की बात करते हैं, किसी पर कोई हमला नहीं करते हैं। बोले कि आज हिंदुओं की बात कोई नहीं कर रहा है।
बीजेपी नेता ने कहा कि मानवाधिकारों की चिंता हम भी करते हैं। बोले “आज भी मैं मानवाधिकारों के लिए सबसे ज़्यादा काम कर रहा हूं। एक ग़रीब पुजारी जिसको ज़िंदा जला दिया गया, उसके घर पर पहुंच कर मैं मदद कर रहा हूं, तो क्या वो मानवाधिकार नहीं होता है? क्या रिंकू होगा, तो मानवाधिकार नहीं होगा? रेहान होगा, तो ही मानवाधिकार होगा?