भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार (23 मार्च, 2023) को पार्टी की राजस्थान, ओडिशा, बिहार और दिल्ली इकाइयों के लिए नए प्रमुखों के नाम की घोषणा की। इन सभी राज्यों में भाजपा सत्ता में नहीं है। पार्टी ने यहां आंतरिक और जातिगत समीकरणों को संतुलित करते हुए पार्टी प्रमुखों की नियुक्ति की है।
बिहार में पार्टी ने ऐसे चेहरे को चुना है, जो उस जाति से हैं जिसका वोट पारंपरिक रूप से जेडीयू को जाता है। वहीं, ओडिशा में एक वफादार समर्थन आधार बनाने की उम्मीद में ओबीसी नेता को पार्टी की कमान सौंपी है। राजस्थान में सतीश पूनिया की जगह चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी ने ली है। दिल्ली में वीरेंद्र सचदेवा को कमान सौंपी गई है। वहीं, बिहार में कुशवाहा नेता सम्राट चौधरी को चुना गया है। पूर्व राजस्व मंत्री मनमोहल सामल को ओडिशा में भाजपा अध्यक्ष बनाया गया है।
राजस्थान में जोशी की नियुक्ति को केंद्रीय नेतृत्व द्वारा राज्य इकाई को एकजुट रखने के अंतिम प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि सीपी जोशी एक मजबूत आरएसएस पृष्ठभूमि वाले ब्राह्मण नेता हैं। इस साल के अंत में राजस्थान में चुनाव होने हैं और लग रहा है कि पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा किए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगने के मूड में है। वहीं, सीपी जोशी को राज्य बीजेपी में किसी गुट का नहीं माना जाता है। पिछले दिनों भाजपा में गुटबाजी की खबरें सामने आई थीं, जो मामला शीर्ष नेतृत्व तक भी पहुंचा था इसलिए बीजेपी नए चेहरे की तलाश में थी।
दिल्ली में भाजपा ने वीरेंद्र सचदेवा पर दांव लगाया है। दिल्ली के एक भाजपा सांसद ने कहा, “भाजपा के पास राज्य में अपनी जमीन वापस पाने के लिए बहुत अनुकूल माहौल है और हमारे पास जो कमी है वह एक अच्छे नेता की है जो सभी को एक साथ रख सके। सचदेवा से ऐसा करने की उम्मीद की जाती है।”
बिहार में सम्राट चौधरी से नीतीश के पारंपरिक कुर्मी-कोयरी वोट में कटौती करने की उम्मीद है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह नीतीश कुमार से कोयरी समुदाय को दूर करने के लिए भाजपा द्वारा एक ठोस, सचेत और जानबूझकर उठाया गया कदम है। बीजेपी बिहार में अपने पांव पसारने की कोशिश कर रही है।”
ओडिशा में मनमोहल सामल पहले से एबीवीपी से जुड़े रहे हैं और हाल ही में धामनगर उपचुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय उन्हें दिया जाता है। वह एक ओबीसी चेहरा हैं। ऐसे में उम्मीद की जाती है कि पार्टी का यह कदम राज्य में ओबीसी समुदाय के वोटों को मजबूत करेगा।