सेना ने नकल रोकने के लिए उतरवाए 1150 नौजवानों के कपड़े, सिर्फ अंडरवियर में लिया एग्जाम
पिछले साल वैशाली में परीक्षा केंद्रों पर बड़े पैमाने पर नकल तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए थे। लेकिन सवाल यह उठता है कि नकल रोकने के लिए इस प्रकार से परीक्षा कराना क्या सही है?

बिहार के मुजफ्फरपुर में रविवार को सेना में क्लर्क बनने के लिए करीब 1150 कैंडिडेट ने सिर्फ अंडरवियर में एग्जाम दिया। बड़े से मैदान में हाथ में पेन और पेपर लिए जमीन पर बैठकर पेपर देते अभ्यार्थियों ने कहा कि उन्हें आदेश था कि वे सिर्फ अंडरवियर में एग्जाम दें, ताकि वे नकल ना कर पाएं। आर्मी रीजनल ऑफिसर (ARO) से ज ब इस बारे में पूछा गया तो कहा कि, “कैंडिडेट्स से कपड़े उतारने के लिए इसलिए कहा गया था, ताकि समय बचाया जा सके।” इस मामले में रक्षा मंत्रालय ने सेना को नोटिस जारी किया है। सेना से मामले की पूरी जानकारी देने को कहा गया है।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए कर्नल वीएस गोधरा ने कहा कि हमने अंडरवियर में एग्जाम इसलिए कराया, ताकि कैंडिडेट पेपर देते समय बाहरी चीजों के संपर्क में न रहें और एक-एक कैंडिडेट की तलाशी लेने में खर्च होने वाला समय भी बचाया जा सकेगा। नाम न बताने की शर्त पर परीक्षा देने आए एक युवक ने बताया कि जैसे ही हम मैदान में घुसे, हमसे अंडरवियर को छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतारने के लिए कहा गया। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। ना चाहते हुए भी आदेश का पालन करना पड़ा। उन्होंने बताया कि परीक्षा के दौरान अभ्यर्थी से दूसरे अभ्यर्थी के बीच का फासला 8 फीट रखा गया था।
परीक्षा देने आए एक अन्य अभ्यर्थी ने बताया कि हमने सोचा भी नहीं था कि इतने बड़े मैदान में कपड़े उतारकर एग्जाम देना पड़ेगा। यह शर्मिंदा करने वाला था। कुछ लोगों का कहना है कि आर्मी ने दूसरी बार इस तरह एग्जाम करवाया है। जब सेना के अधिकारियों से पूछा गया कि क्या बिहार में एग्जाम होने के कारण इस तरह एग्जाम कराया गया तो उन्होंने इस बात से साफ इंकार करते हुए कहा कि हमें राज्यों से कोई मतलब नहीं है।
सेना ने बताया कि रविवार को लिखित एग्जाम में 1,159 कैंडिडेट ने भाग लिया, जिसमें 775 कैंडिडेट जनरल ड्यूटी के लिए, 211 क्लर्क के लिए और 173 कैंडिडेट टेक्नीकल एग्जाम के लिए शामिल हुए थे। 4 और 12 फरवरी को मेडिकल और फिजिकल टेस्ट होगा। वहीं, नाम बताने की शर्त पर आर्मी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस तरह परीक्षा कराना बड़ी चूक है। सिर्फ मेडिकल और फिजिकल के वक्त कैंडिडेट से कहा जाता है कि वह अपने कपड़े उतारे, लेकिन लिखित परीक्षा तो मानसिक योग्यता जांचने के लिए होती है। आपको बता दें कि पिछले साल वैशाली में परीक्षा केंद्रों पर बड़े पैमाने पर नकल तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए थे। लेकिन सवाल यह उठता है कि नकल रोकने के लिए इस प्रकार से परीक्षा कराना क्या सही है?
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