दिल्ली के जामिया नगर में हुई हिंसा के मामले में हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने शरजील इमाम (Sharjeel Imam) समेत 9 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को पलट दिया। हाई कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ दंगे और अन्य आरोप तय करने का निर्देश दिया है। वहीं दो आरोपियों को कोर्ट ने आरोपमुक्त कर दिया है।
इस मामले में कुल 11 आरोपी थे, जिसमे से 9 के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए हैं। जांच एजेंसी ने स्टूडेंट्स एक्टिविस्ट शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा और आठ अन्य को आरोपमुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। इस बीच आसिफ तन्हा को गैर इरादतन हत्या के प्रयासों की धाराओं के तहत आरोपमुक्त कर दिया गया लेकिन आईपीसी की धारा 308, 323, 341 और 435 के तहत आरोप तय किए गए हैं।
हाई कोर्ट ने मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शारजील इमाम, सफूरा जरगर और अन्य पर भी धारा 143 (punishment for unlawful assembly), 147 (दंगा करने की सजा), 149, 186 (सरकारी कार्यों के निर्वहन में लोक सेवक को बाधा डालना), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 427 (शरारत के कारण पचास रुपये की राशि का नुकसान), सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धाराओं में आरोप तय किये। वहीं उन्हें बाकी आरोपों के लिए छुट्टी दे दी गई है।
यह मामला दिसंबर 2019 में दिल्ली के जामिया नगर इलाके में नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) का विरोध कर रहे लोगों और दिल्ली पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद भड़की हिंसा से जुड़ा है। निचली अदालत ने अपने 4 फरवरी के आदेश में 11 लोगों को बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उन्हें पुलिस द्वारा “बलि का बकरा” बनाया गया था।
शरजील इमाम पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था। वह अभी भी जेल में है क्योंकि वह 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों (2020 northeast Delhi riots) के बड़े षड्यंत्र मामले में आरोपी है।