कांग्रेस में आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए टिकटों को लेकर खींचतान जारी है। पार्टी ने गुरुवार को 12 उम्मीदवारों की सूची जारी की। पहली सूची में छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय और राजस्थान से 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया गया। इसके बाद हरियाणा और गुजरात से 3 अन्य उम्मीदवारों की सूची जारी की गई। दूसरी सूची में कांग्रेस की पावर पॉलिटिक्स का उदाहरण साफ दिखा। हरियाणा से पार्टी ने एक बार फिर परिवारवाद का ही पक्ष लिया और भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंदर हुड्डा को राज्यसभा का टिकट सौंपा।
गौरतलब है कि इस टिकट के लिए भूपिंदर हुड्डा ने काफी पहले से दावा ठोक दिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भूपिंदर और दीपेंदर दोनों को हार मिली थी। हालांकि, विधानसभा चुनाव में बाप-बेटे की जोड़ी ने कांग्रेस को वापस लड़ाई में ला दिया। इसी मेहनत के लिए भूपिंदर सिंह हुड्डा काफी लंबे समय से बेटे के लिए उम्मीदवारी मांग रहे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस ने भी इस पर जोखिम नहीं लिया और दीपेंदर को टिकट सौंपने का फैसला किया।
हरियाणा में अभी कुमारी शैलजा राज्यसभा से सांसद हैं। अगले महीने उनकी सदस्यता खत्म होनी है। शैलजा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की काफी करीबी मानी जाती हैं। उन्हें हरियाणा के विधानसभा चुनाव के बाद ही कांग्रेस ने प्रदेशाध्यक्ष घोषित कर दिया था। हालांकि, राज्यसभा के लिए कांग्रेस ने भूपिंदर को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
दूसरी तरफ गुजरात में कांग्रेस ने राज्यसभा से दो उम्मीदवारों की घोषणा की है। पहला नाम पार्टी के कद्दावर नेता शक्ति सिंह गोहिल का है। वहीं, दूसरा नाम भारत सिंह सोलंकी का है। शक्ति सिंह गोहिल ने हाल ही में एक खुली चिट्ठी जारी कर राजद का पुराना वादा याद दिलाया था। उन्होंने लिखा था, ‘एक अच्छे आदमी का कर्तव्य होता है कि जान जाए, लेकिन वचन न जाए। आशा है कि राजद अपने वादे को निभाएगा।’ कांग्रेस का कहना था कि लोकसभा चुनाव के दौरान राजद ने कांग्रेस को नौ सीटों के अतिरिक्त राज्यसभा की भी एक सीट का आश्वासन दिया था। हालांकि, राजद ने प्रतिक्रिया में कहा था कि हम कांग्रेस के लिए हर बार कुर्बानी नहीं दे सकते।
माना जा रहा है कि राजद के इसी इनकार के बाद कांग्रेस ने गोहिल की पावर पॉलिटिक्स के चलते उन्हें मैदान में उतारा। शक्ति सिंह गोहिल कांग्रेस का मजबूत चेहरा माने जाते हैं। वे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के साथ बिहार और दिल्ली के लिए पार्टी के इंचार्ज भी हैं। उन्हें कांग्रेस ने 2004 से लेकर 2014 तक दो बार मंत्री बनाया। इसके अलावा 2007 से 2012 के बीच उन्होंने गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभाई थी।