गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुआ। इस दौरान भाजपा के अधिकतर नेता कार्यक्रम में मौजूद रहे। भोपाल से भाजपा सांसद चुनी गई साध्वी प्रज्ञा ठाकुर शपथ ग्रहण समारोह से नदारद रहीं। हालांकि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर बुधवार को दिल्ली पहुंच गई थीं, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंची। शपथ ग्रहण समारोह से पहले प्रधानमंत्री मोदी और अधिकतर सांसद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर भी गए। साध्वी प्रज्ञा इस कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुई।

साध्वी प्रज्ञा दिल्ली में बसंत कुंज स्थित मध्यांचल भवन में ठहरीं थीं और शुक्रवार की सुबह वहां से चली गई थीं। द इंडियन एक्सप्रेस में छपे दिल्ली कॉन्फिडेंशियल नामक लेख के अनुसार, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के पास सिर्फ एक ही पास था, जिसके चलते वह शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नहीं ले पायीं। दरअसल उन्हें अपने सहयोगियों के लिए कुछ और पास चाहिए थे। चूंकि साध्वी के सहयोगियों को पास नहीं मिल पाए, इसलिए वह शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुई। साध्वी प्रज्ञा लोकसभा चुनावों में प्रचार के दौरान खूब चर्चा में रहीं थीं। दरअसल साध्वी प्रज्ञा के कई बयानों पर विवाद हुआ, जिससे भाजपा की भी किरकिरी हुई।

अपने एक बयान में साध्वी प्रज्ञा ने पूर्व एटीएस चीफ हेमंत करकरे को लेकर कहा था कि उनके श्राप के चलते हेमंत करकरे की मौत हुई। हेमंत करकरे ही मालेगांव ब्लास्ट मामले की जांच कर रहे थे। साध्वी के इस बयान पर हंगामे के बाद भाजपा ने खुद को इससे दूर कर लिया था और इसे साध्वी का निजी बयान करार दिया था। इसी तरह साध्वी प्रज्ञा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता दिया था। इस बयान पर भी खूब विवाद हुआ था। पीएम मोदी ने खुद साध्वी प्रज्ञा के इस बयान से नाराजगी जाहिर की थी। लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद जब भाजपा के सभी निर्वाचित सांसद संसद हॉल में इकट्ठा हुए थे। उस कार्यक्रम में भी पीएम मोदी ने साध्वी प्रज्ञा को नजरअंदाज किया था।