अपने साहस के दमपर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर देने वाले क्रांतिकारी भगत सिंह के विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। किताबों के शौकीन भगत सिंह जेल में रहकर भी किताबों के प्रति अपने इस प्रेम को छोड़ नहीं सके। बहुत कम लोग जानते हैं कि जब भगत सिंह को फांसी होनी थी, तो उसके पहले वो लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। इतना ही नहीं अपने दोस्तों को पत्र लिखकर वो अक्सर जेल में किताबें मंगवाते थे। जेल में रहने के दौरान भगत सिंह किताबों को पढ़कर नोट्स बनाते थे जिन्हें ऐतिहासिक दस्तावेजों में शामिल किया गया।
लाहौर के सेंट्रल जेल में रहने के दौरान उन्होंने अपने दोस्त जयदेव को एक पत्र लिखकर कुछ किताबों के नाम भी दिए थे, जिसे वो जेल में मंगवाना चाहते थे। गौरतलब है कि कम उम्र में ही भगत सिंह समाजवादी विचारों से प्रेरित हो गए थे और अपने अंतिम दिनों में, उन्होंने कार्ल लिबनेचैट द्वारा भौतिकवाद, द सोवियत एट वर्क, लेफ्ट-विंग कम्युनिज्म, रूस में लैंड रिवोल्यूशन सहित तमाम पुस्तकों की एक लिस्ट देकर अपने मित्र से जेल में किताबें भेजने की मांग की थी।
वैसे किताबें पढ़ने के शौकीन भगत सिंह समाजवाद और समाजवादी लेखकों और लेनिन, कार्ल मार्क्स और लियोन ट्रॉट्स्की जैसे नेताओं के विचारों से काफी प्रभावित हुए थे। इसकी वजह से वो खुद को नास्तिक भी बताते थे।
पढ़ने के अलावा रहा लिखने का शौक: पढ़ने के साथ-साथ भगत सिंह लिखने का भी शौक रखते थे। उन्होंने उस समय के कई समाचार पत्रों में अपने लेख लिखे। जेल में रहते हुए भी उन्होंने लगभग चार किताबें लिखीं, हालांकि उनकी डायरी के अलावा और कुछ भी नहीं बचा। इसके अलावा भगत सिंह को अभिनय का भी शौक रहा। अपने कॉलेज के दिनों में उन्होंने कुछ नाटकों में भाग लिया। जिसमें ‘सम्राट चंद्रगुप्त’ और ‘राणा प्रताप’ जैसे नाटकों के लिए उन्हें सराहा गया।
बता दें कि 27 सितंबर 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव में जन्में भगत सिंह 23 साल की उम्र में ही 23 मार्च 1931 को फांसी के फंदे पर झूल गए थे। लेकिन उनके विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।