बकरीद पर भारत ने दिया पाक को यह तोहफा, मां से मिलाएगा 5 साले से बिछड़े बेटे को…
अपने पिता के साथ बांग्लादेश और वहां से परेशानियों के चलते भारत पहुंचे 15 वर्षीय एक पाकिस्तानी बालक के चेहरे पर पांच साल बाद उस...

अपने पिता के साथ बांग्लादेश और वहां से परेशानियों के चलते भारत पहुंचे 15 वर्षीय एक पाकिस्तानी बालक के चेहरे पर पांच साल बाद उस समय मुस्कान लौटी जब कराची में रह रही उसकी मां से फोन पर उसकी बात हुई। अब उसे उम्मीद बंधी है कि वह अपने मुल्क पाकिस्तान स्थित अपने घर वापस जा सकेगा और अपनी मां के साथ रह सकेगा।
पाकिस्तानी बालक, मोहम्मद रमजान की दास्तां अखबार में पढ़ने के बाद हमजा बासित नाम के एक व्यक्ति ने उसे उसके घर कराची वापस भेजने के प्रयास शुरू किये। हमजा ने कहा, रमजान की मां रजिया बेगम से तलाक के बाद उसका पिता मोहम्मद काजल उसे मां से अलग कर बांग्लादेश ले गया और वहां उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली।
उन्होंने बताया कि सौतेली मां और पिता के बदले व्यवहार से परेशान रमजान करीब पांच साल पहले अपनी मां के पास वापस कराची लौटने के लिये बांग्लादेश से भारत आ गया।
भोपाल में चार्टर्ड एकाउंट की पढ़ाई करने वाले कराची के निवासी हमजा ने बताया कि भारत में रमजान रांची, मुम्बई और दिल्ली में भटकता रहा। पांच साल पहले भोपाल रेलवे स्टेशन पर उसे पुलिस ने पकड़ लिया और अक्तूबर 2013 में उसे बाल गृह भेज दिया गया।
उन्होंने कहा, रमजान के बारे में पढ़कर मैं उससे मिला और सीमा पार कर यहां आने की उसकी पूरी दास्तां सुनी तथा बाद में उसकी दास्तां को सोशल मीडिया के जरिये कराची में अपने दोस्तों के साथ शेयर किया। हमजा ने कहा कि उसने पिछले 11 दिनों में फेसबुक और कई सोशल साइट की मदद से रमजान की कहानी कराची में लोगों को बताई और उसकी फोटो भी वहां भेजी। रमजान ने बताया था कि वह कराची की मूसा कॉलोनी का रहने वाला है।
उन्होंने बताया कि कराची के कुछ कार्यकर्ताओं की मदद से उसकी फोटो वहां मूसा कॉलोनी की दीवारों पर भी चस्पां की गई। एक दिन रमजान के सौतेले पिता ने उसकी फोटो देखी और रमजान की मां को इसकी जानकारी दी। रमजान की मां ने पाकिस्तान से 18 सितंबर को भोपाल फोन कर उससे बात की।
रमजान ने कहा, करीब पांच साल बाद मां की आवाज सुनकर मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। मैंने अपनी मां के साथ-साथ बहन जोरा और मूसा कॉलोनी के कुछ दोस्तों से भी बात की। वह भी रो रही थी और खुशी के कारण मेरे भी आंसू निकल रहे थे। मैंने जब उसे बताया कि मैं यहां शाकाहारी खाना खा रहा हूं तो मां ने कहा, बेटा अच्छे से रहना, कहीं जाना नहीं, मैं तुम्हें पाकिस्तान बुलाउंगी और तुम्हारा मनपसंद खाना खिलाउंगी।
चाइल्ड लाइन की परियोजना संचालक अर्चना सहाय ने बताया कि कराची के समाज कल्याण विभाग ने भी हमसे रमजान के बारे में संपर्क किया है। इसके साथ ही हम विदेश मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी आशुतोष शुक्ला के भी संपर्क में हैं तथा रमजान को उसके परिवार के पास वापस पाकिस्तान भेजने के लिये प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि भोपाल रेलवे पुलिस द्वारा 22 अक्तूबर 2013 को सौंपे जाने के बाद से ही रमजान उनके बाल गृह संगठन उम्मीद में रह रहा है।
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