भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी की सुबह होने से पहले पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के मदरसे को निशाना बनाया था। हमले के कुछ घंटे बाद पाकिस्तानी सेना ने मदरसे को खाली कराया और छात्रों को कुछ दिनों के लिए ‘सेफ हाउस’ में रखा। फिर इन छात्रों को उनके घर भेज दिया गया। द इंडियन एक्सप्रेस को यह जानकारी हमले के समय मदरसे में रहे एक छात्र के रिश्तेदार से मिली है। जाभा टॉप नाम की पहाड़ी पर स्थित मदरसा तालीम-उल-कुरान को वायुसेना ने निशाना बनाया था। वहां मौजूद लोगों में से पहली बार किसी का अनुभव सामने आया है।
रिश्तेदार ने कहा कि पाकिस्तानी सैनिक हमले के करीब एक सप्ताह पहले से जैश के ठिकाने की सुरक्षा कर रहे थे। अपने परिवार को उस छात्र ने जो बताया उसके मुताबिक, 26 फरवरी की सुबह ”जोरदार विस्फोट” की आवाज से उसकी और कुछ अन्य साथियों की नींद टूटी। रिश्तेदार के अनुसार, “आवाज दूर से नहीं आई थी, यह बहुत करीब की घटना थी। वे घबराकर उठे मगर दोबारा उन्हें कुछ सुनाई दिया तो फिर सो गए। उन्हें लगा कि उनका वहम होगा या शायद भूकंप का झटका हो।”
जब दोबारा उनकी नींद खुली तो वहां सैनिक पहुंच चुके थे और उनसे मदरसा खाली करने को कह रहे थे। रिश्तेदार के अनुसार, “फौजी उनको किसी और जगह ले गए। वहां उन्हें दो से तीन दिन रखा गया। उसने (छात्र) बताया कि मदरसे में बहुत सारे लोग थे मगर सेफ हाउस में वे सभी मौजूद नहीं थे। वह था और उसकी उम्र के कुछ लड़के और थे। वो नहीं जानता कि बाकी लोगों को क्या हुआ और धमाका कहां हुआ था।”
छात्र ने अपने परिवार को बताया कि घटना से कुछ दिन पहले पाकिस्तानी सैनिक मदरसे पर तैनात कर दिए गए थे। रिश्तेदार ने कहा, “उसने कहा कि फौजी मदरसे की सुरक्षा के लिए आए थे क्योंकि मदरसे की तस्वीरें लीक हो गई थीं।” रिश्तेदार ने आगे कहा, “वह मदरसा लौटने पर आमादा है। सब उससे कह रहे हैं कि रुक जाओ और शादी कर लो, मगर वो वापस मदरसा जाना चाहता है।”