अयोध्या में राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसला देने से पहले शुक्रवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को बुलाकर बैठक की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान देश के चीफ जस्टिस ने यूपी के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और डीजीपी ओम प्रकाश सिंह से सुरक्षा हालातों के बारे में जानकारी हासिल की।
गौरतलब है कि ‘राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद’ विवाद पर 40 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। उधर, मीडिया में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के साथ यूपी के टॉप अधिकारियों की बैठक लगभग एक घंटे तक चली। हालांकि, मीटिंग को लेकर अभी तक कोई ज्यादा जानकारी नहीं बाहर आ पाई है। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले (अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों; निर्मोही अखाड़ा, राम लला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड तीनों में बराबर-बराबर बांटने को कहा था।) के खिलाफ दायर याचिका पर मैराथन सुनवाई हुई।
इस बीच फैसले की घड़ी को देखते हुए अयोध्या समेत समूचे उत्तर प्रदेश में सुरक्षा-चाकचौबंद कर दी गई है। अयोध्या में खास तौर पर ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है। नयाघाट, राम की पैड़ी, नागेश्वरनाथ, हनुमानकुपा रोड पर विशेष निगरानी की जा रही है। स्थिति को काबू में रखने के लिए पहले से ही 4000 अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है।
उधर, अयोध्या मामले में फैसला आने से पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करके कहा, “अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, वो किसी की हार-जीत नहीं होगी। देशवासियों से मेरी अपील है कि हम सब की यह प्राथमिकता रहे कि ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना की महान परंपरा को और बल दे। वहीं, एहतियात के तौर पर उत्तर प्रदेश की सरकार ने तमाम स्कूल, कॉलेज, ट्रेनिंग सेंटर और अन्य शैक्षणिक संस्थान बंद रखे हैं।