अयोध्या विवाद पर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाने वाला है। इस बीच कांग्रेस के नेता अभी इस मसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं और संभलकर बयान दे रहे हैं। इसी बीच कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी इच्छा है कि अयोध्या में राम मंदिर बने। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि आखिरी फैसला सुप्रीम कोर्ट का होगा और वह सभी वर्गों को उसे मानना चाहिए। बता दें कि ये दोनों वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत हैं।
बता दें कि कांग्रेस के दोनों नेताओं का बयान ऐसे वक्त आया है, जब कांग्रेस इस बात पर विचार कर रही है कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पार्टी को कैसे प्रतिक्रिया देनी है? शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक भी बुलायी, जिसमें इस बात पर चर्चा की गई कि संवेदनशील राजनैतिक मुद्दों पर जैसे अयोध्या विवाद, एनआरसी, आर्टिकल 370, नागरिकता संशोधन विधेयक पर पार्टी नेताओं की क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए।
कांग्रेस पार्टी के एक नेता का कहना है कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर ही पार्टी की प्रतिक्रिया निर्भर करेगी। बता दें कि लोकसभा चुनावों में हार के बाद से ही कांग्रेस में मांग की जा रही है कि एक ऐसी व्यवस्था बनायी जाए, जिसमें किसी मुद्दे पर सामूहिक विचार और फैसला लिया जा सके। इसके अलावा कांग्रेस में संसदीय बोर्ड को फिर से शुरु करने की मांग भी उठ रही है।
बता दें कि यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने द संडे एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए बताया कि “एक हिंदू होने के नाते मैं भी चाहता हूं कि वह मंदिर बने। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी हो, उसे सभी लोगों को मानना चाहिए। फैसला जल्द आना चाहिए ताकि इस मुद्दे पर जारी विवाद का अंत हो। अब वक्त है कि सभी समुदाय आगे बढ़ें और शांति और भाईचारे से रहें।”
इसी तरह उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी कहा कि ‘अब इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला हो, वह शांतिपूर्ण तरीके से लागू हो।’ जब हरीश रावत से राम मंदिर मुद्दे पर उनके निजी विचारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि “हर भारतीय की तरह मैं भी चाहता हूं कि अयोध्या में राम मंदिर बने, जिससे भी आप पूछेंगे वो यही जवाब देगा। यदि आप मुस्लिम भाईयों से भी पूछेंगे तो वो भी यही कहेंगे कि यदि अयोध्या में नहीं तो फिर राम मंदिर कहां बनेगा?”