गुजरात के गांधीनगर की अदालत ने शिष्या से दुष्कर्म मामले में आसाराम बापू को दोषी करार दिया है। सजा पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत फैसला करेगी। सेशन जज डी के सोनी मंगलवार 31 जनवरी को सजा सुनाएंगे। आसाराम का बेटा नारायण साई, पत्नी लक्ष्मी, बेटी भारती के साथ चार महिला शिष्याएं भी इस मामले में आरोपी बनाई गई थीं। लेकिन सुनवाई के दौरान पेश साक्ष्यों पर गौर करते हुए अदालत ने आसाराम के अलावा बाकी सभी को बरी कर दिया।
सूरत की रहने वाली एक युवती ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि तकरीबन 10 साल पहले वो आसाराम के आश्रम में गई थी। उसी दौरान उसके साथ ये वारदात हुई। पुलिस के मुताबिक आसाराम ने 2001 से 2006 के बीच युवती से कई बार रेप किया। उस दौरान वह शहर के बाहरी इलाके में स्थित उसके आश्रम में रहती थी। पब्लिक प्रासीक्यूटर आरसी कोडेकर ने सोमवार को कहा कि अदालत ने अभियोजन के मामले को स्वीकार कर लिया। आसाराम को IPC की धारा 376 (2) (सी), 377 (अप्राकृतिक यौनाचार) और अवैध रूप से बंधक बनाने से जुड़ी धारा में दोषी ठहराया।
सूरत की रहने वाली युवती ने अक्टूबर 2013 में आसाराम और सात अन्य के खिलाफ रेप और अवैध तरीके से कैद रखने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। जुलाई 2014 में मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था।
आसाराम को 31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस ने रेप के एक दूसरे मामले में गिरफ्तार किया था। तब से वो जेल में बंद है। आसाराम को एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 2013 में एक शिष्या के साथ रेप के आरोप में जोधपुर की अदालत मे उसे 2018 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
आसाराम ने तकरीबन 10 हजार करोड़ का साम्राज्य स्थापित किया था। 1970 के दशक में उसने साबरमती नदी के किनारे एक छोटी सी कुटिया से अपना सफर शुरू किया था। फिलहाल उसके चार सौ से ज्यादा आश्रम हैं। भारत के अलावा दूसरे देशों में भी उसका साम्राज्य फैला हुआ है।