प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में वित्त मंत्री से लेकर रक्षा मंत्री समेत कई पोर्टफोलियो संभाल चुके दिवंगत नेता अरुण जेटली की कल यानी 24 अगस्त को पुण्यतिथि है। इस मौके पर देशभर के नेताओं ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है। उनकी बेटी सोनाली जेटली ने भी पिता की कुछ छिपी हुई बातों को याद किया। सोनाली कहती हैं कि उनके पिता 1975 में एक एबीवीपी कार्यकर्ता के तौर पर जब उनके पिता ने इमरजेंसी के खिलाफ प्रदर्शन किया, तो उन्हें जेल में डा दिया गया। जेल में बिताए समय की याद हमेशा उनके साथ रही, जिसने उनके स्वास्थ्य पर भी स्थायी असर डाला। लेकिन इससे उनके हौसले पर कभी चोट नहीं पहुंची। इमरजेंसी के समय ने उन्हें मजबूत इरादे और लोहे जैसे मजबूत इरादे दिए।
आखिरी समय में भीकश्मीर से अनुच्छेद 370 हटवाने के लिए कानूनी योजना बनाने में जुटे रहे
हिंदुस्तान टाइम्स के लिए लिखे गए लेख में सोनाली कहती हैं, “कश्मीर मुद्दा हमेशा से अरुण जेटली के दिल के काफी करीब रहा। उनका मानना था कि अनुच्छेद 370 कश्मीर के विकास में रोड़ा है। अपने आखिरी महीनों में लगातार जम्मू-कश्मीर के संविधान के बारे में पढ़ा करते थे और अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए अचूक कानूनी योजना बनाने में जुट गए। पीएम मोदी जी और अमित शाह जी के साथ की बदौलत आखिरकार अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के साथ ही इतिहास बना।”
स्वास्थ्य मंत्री के पद पर भी रहना चाहते थे अरुण जेटली
सोनाली बताती हैं कि उनके पिता ने स्वास्थ्य, शिक्षा और सफाई के मुद्दे पर कई अहम बदलाव की नींव रखी। लेकिन उन्हें हमेशा एक अफसोस रहा। वे हमेशा से स्वास्थ्य मंत्री का पोर्टफोलियो रखना चाहते थे और देश में हेल्थकेयर को आसान और वहन योग्य बनाना चाहते थे। उन्हें देश के डॉक्टरों पर कितना भरोसा था, इसका उदाहरण इसी बात से मिलता है कि वे किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए सलाह के बावजूद सिंगापुर नहीं गए। जब वे हॉस्पिटल में थे, तो वे डॉक्टरों के साथ हो रहे बर्ताव पर दुख भी जताते थे। वे खुद कहते थे कि ठीक होने के बाद वे स्वास्थ्यकर्मियों की रक्षा के लिए कानूनी नियम बनाएंगे। अप्रैल 2020 में पीएम मोदी ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए जो कड़े प्रावधान बनाए उनसे पिताजी को जरूर खुशी होती।
खराब स्वास्थ्य के बावजूद पार्टी मीटिंग में जो जगह मिली, वहीं रहने लगे जेटली
सोनाली का कहना है कि उनके पिता ने हमेशा कोशिश की कि बच्चे बिना उनके किसी एहसान के ही आगे बढ़ें। सोनाली के मुताबिक, बचपन में जब वे बास्केटबॉल टूर्नामेंट में जाती थीं, तो उनके पिता ने उनमें टीम स्पिरिट का भाव जगाया। फिर चाहे वो ट्रेन के सेकंड क्लास में सफर करने का हो या खराब खाना खाने का। मुझे हमेशा टीम के साथ रहने के लिए कहा गया वो भी बिना किसी शिकायत के। खुद पिताजी भी वही करते थे, जिसकी सलाह वे दूसरों को देते थे। हर साल पार्टी की वर्किंग कमेटी की बैठक में वे वहीं रहते, जहां पार्टी ने उनके लिए इंतजाम किया होता। यूं तो वे आसानी से फाइव स्टार होटल भी ले सकते थे। वह भी तब जब उनकी तबियत काफी खराब रहती थी। यहां तक की जब मैंने अपनी लॉ फर्म खोली, तो वे मेरे लिए कई क्लाइंट्स ला सकते थे, पर उन्होंने साफ कर दिया कि तुम्हें मुझसे कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
सोनाली आखिर में कहती हैं कि वे अपने पिता की कमी महसूस करती हैं ये कहना गलत होगा, क्योंकि देश में सभी लोग ऐसा महसूस करते हैं। आखिर अरुण जेटली मेरे पिता नहीं, बल्कि पूरे भारत के बेटे थे।