सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वाले लोगों से धोखाधड़ी में शामिल रहे व्यक्तियों को छोड़ा नहीं जाएगा और वे चाहे किसी भी पद पर क्यों न हों, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सेबी चिटफंड के मामलों को देख रही है और ऐसी कंपनियों की संपत्तियों को जब्त कर उन्हें बेचने की प्रक्रिया चल रही है ताकि निवेशकों का पैसा लौटाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मामलों में संपत्तियों के जटिल मुद्दे के चलते सेबी के सामने समस्या आती है। अधीर रंजन चौधरी के प्रश्न के उत्तर में जेटली ने कहा, ‘‘जटिल प्रक्रिया के बाद कुछ धन हासिल किया गया है। जिसने भी धोखाधड़ी की हो, वह चाहे जिस पद पर हो, उसके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है।’’
कांग्रेस सांसद चौधरी ने पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में चिटफंड कंपनियां सामने आने का मुद्दा उठाते हुए पूछा था कि राज्य के हजारों लोग इन कंपनियों की धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं और लोगों को ठगने वालों में बड़े अधिकारी और बड़े पदों पर बैठे लोग शामिल हैं। उन्होंने पूछा कि सरकार बताए कि अब तक कितने लोगों का पैसा लौटाया गया है और कितने लोगों पर कार्रवाई की गई है। गौरतलब है कि लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय को पश्चिम बंगाल में रोज वैली चिटफंड घोटाले के मामले में सीबीआई ने पहले गिरफ्तार किया था।
जेटली ने कहा कि सरकार निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए प्रभावी विधेयक लाने पर काम कर रही है। माकपा समेत वामपंथी सदस्यों ने चौधरी का समर्थन किया। कंपनी अधिनियम के अनुसार किसी निजी कंपनी को केवल उसके निदेशकों और उनके रिश्तेदारों से धन स्वीकार करने की अनुमति है और वह भी एक निश्चित सीमा तक। पंजाब की एक कंपनी द्वारा हजारों निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के संबंध में लक्ष्मीनारायण यादव के एक सवाल पर जेटली ने कहा, ‘‘सेबी कार्रवाई कर रही है। मामला उच्चतम न्यायालय में गया और सेबी पर निगरानी के लिए एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की गई। सेबी कंपनी की सारी संपत्तियों को बेचकर निवेशकों को पैसा लौटाने की कार्रवाई में लगी है।’’