राजौरी के डांगरी में हुए आतंकी हमलों के बाद आम लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है। ऐसे में सरकार और प्रशासन की निगाह ग्राम रक्षा समितियों (विलेज डीफेंस गार्ड्स या वीडीजी) के प्रारूप की ओर गई है। सरकार ने वीडीजी से जुड़े लोगों को हथियार दिए जाने की घोषणा कर दी है।
दरअसल, डांगरी हमले में भी वीडीसी से पूर्व सदस्य बालकृष्ण ने जिस तरह से साहस दिखाया, उससे सुरक्षाबलों को भी भरोसा हुआ है। स्थानीय निवासियों की मांग थी कि हर परिवार के पास कम से कम एक बंदूक होनी चाहिए, जिससे संकट की घड़ी में वे आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे सकें। दो जनवरी को डांगरी गांव पहुंचे जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने घोषणा की कि आत्मरक्षा के लिए अब जम्मू-कश्मीर के लोगों को हथियार दिए जाएंगे।
क्या हैं ग्राम रक्षा समितियां
ग्राम रक्षा समिति या ग्राम रक्षा गार्ड्स (वीडीजी) जम्मू-कश्मीर में पहली बार 1990 में बनाए गए। उस समय के डोडा जिले में आतंकवादियों से बचाव में इस योजना ने काफी मदद दी। तब 10 जिलों में 26 हजार से ज्यादा लोगों को वीडीजी में भर्ती किया गया था। सभी को हथियार चलाने की प्रशिक्षण भी दिया गया था। अतीत में वीडीजी ने कई आतंकी हमलों को रोका। बाद में जब आतंकी हमले कम हो गए तो लोगों से हथियार वापस ले लिए गए।
अब कुछ महीनों में आतंकी हमलों की संख्या बढ़ने के बाद एक बार फिर से हथियार दिए जाने का फैसला किया गया है। इस योजना के तहत इसके तहत पूर्व सैनिकों, पूर्व पुलिसकर्मियों और कुछ स्थानीय नागरिकों को .303 राइफल और एक सौ गोलियां दी जाती हैं। हालांकि, नई योजना के तहत वीडीजी को स्वचालित राइफलें देने की योजना है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन की कोशिश है कि सुदूर बसे गांवों में आतंकी हमलों की स्थिति में स्थानीय लोग प्रशिक्षित रहेंगे तो बैकअप भेजने का समय मिल जाएगा और उनकी जान बच जाएगी। अभी 26 हजार वीडीजी को फिर सक्रिय किया जाना है।
आतंकवाद के खात्मे में भूमिका
जब यह योजना तैयार की गई थी (90 के दशक में), तब 10 जिलों में ग्राम सुरक्षा समितियों में 26,567 स्थानीय लोगों को स्वयंसेवक के तौर पर भर्ती किया गया था और उन्हें हथियार दिए गए, ताकि ऐसी परिस्थिति में वह आतंकियों से मुकाबला कर सकें और अपने व अपने परिवार की रक्षा कर सकें। स्वयंसेवकों की संख्या सबसे अधिक राजौरी जिले में रही। वहां 5818 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया था।
इसके बाद रियासी में 5730 और डोडा में 4822 स्वयंसेवक भर्ती किए गए थे। ग्राम सुरक्षा समिति के स्वयंसेवकों का जम्मू संभाग के किश्तवाड़ा, डोडा और रामबन जिलों में आतंकवाद के खात्मे में काफी अहम रोल है। दरअसल, तब आतंकियों ने डोडा में खूब आतंक मचाया था। एक मामला ऐसा भी था कि आतंकियों ने एक शादी समारोह में घुसकर 27 लोगों को कतार में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था। तब ऐसे दलों ने मोर्चा संभाला और बाद में जब आतंकी हमले रुक गए तब समिति के सदस्यों से हथियार ले लिए गए।
हथियार देना कितना सही
राजौरी में हुई घटना के बाद अधिकारियों में इस बात की चिंता बढ़ी है कि उग्रवादी कश्मीर घाटी के बाहर जम्मू इलाके में भी अपनी गतिविधियां बढ़ा सकते हैं। जानकारों के मुताबिक, इसकी वजह यह भी हो सकती है कि कश्मीर घाटी में सेना की भारी तैनाती के कारण उग्रवादी गतिविधियों को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं। इसी कारण वीडीजी नेटवर्क को दोबारा तैयार किया जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि नए प्रारूप में लोगों को स्वचालित हथियार देना उचित है। जानकारों के मुताबिक, आतंकियों का मुकाबला करना है- इस बात को ध्यान में रखकर लोगों को खतरनाक हथियार देने चाहिए। पुख्ता प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। वीडीजी सुरक्षाकर्मियों को स्थानीय प्रशासन से चार हजार रुपए मासिक का भत्ता भी मिलता है। हालांकि कुछ वीडीजी कर्मियों पर अपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लगते रहे हैं। इसलिए उन्हें पुनर्गठित करने का स्थानीय नेता विरोध भी कर रहे हैं।
गृह मंत्रालय के आंकड़ें
जम्मू-कश्मीर में एक साल में हुई 123 आतंकी घटनाओं में 180 आतंकवादी, 31 सुरक्षाकर्मी और 31 नागरिक मारे गए हैं। जहां 2018 में 417 आतंकी घटनाएं हुईं 2021 में 229 घटनाएं हुईं ।प्रधानमंत्री के विकास पैकेज के तहत कश्मीरी प्रवासियों के लिए 3,000 सरकारी नौकरियां सृजित की गई हैं, जिनमें से 2,639 लोगों को पिछले पांच वर्षों में नियुक्त किया गया है।
भारत सरकार उन कश्मीरी पंडित परिवारों को वापस लाने की कोशिशों में जुटी है, जो 1990 के दशक में आतंकवाद के डर से राज्य छोड़कर चले गए थे। इन परिवारों की वापसी के लिए 19 जगहों पर छह हजार फ्लैट बनाए गए हैं।
क्या कहते हैं जानकार
सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टालरेंस’ की नीति अख्तियार कर रखी है। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। आतंकवादी हमलों में पर्याप्त गिरावट आई है। हाल के हमलों को सरकार ने गंभीरता से लिया है और ठोस उपाय किए जा रहे हैं।
- नित्यानंद राय, गृह राज्यमंत्री
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के रद्द होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा स्थिति में एक बड़ा बदलाव आया है और आतंकवादी गतिविधियों पर काफी हद तक काबू किया गया है। भारत सरकार को वहां की अल्पसंख्यक आबादी की सुरक्षा पुख्ता करने पर ध्यान देना होगा।
- मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) पीके सहगल