भाई-भतीजे के भरोसे मायावती, आनंद को बनाया उपाध्यक्ष और आकाश को राष्ट्रीय संयोजक
मायावती ने बसपा के प्रमुख पदों की जिम्मेदारी नए लोगों को सौंपी। भाई आनंद को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया। वहीं, भतीजे आकाश को पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक नियुक्त किया गया।

उत्तर प्रदेश की प्रमुख पार्टी बसपा (बहुजन समाज पार्टी) सुप्रीमो मायावती अब भाई-भतीजे के भरोसे राजनीति कर रही हैं। उन्होंने आज अपनी पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर नए लोगों को जिम्मेदारी दी है। दानिश अली को लोकसभा में बसपा का नेता नियुक्त किया गया है। भाई आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया। भतीजे आकाश आनंद तथा रामजी गौतम को पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक नियुक्त किया गया है। लखनऊ स्थित आवास पर रविवार को बसपा की बैठक का आयोजन किया गया था। इसी बैठक में ये महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। पार्टी की बैठक में शामिल होने पहुंचे नेताओं हॉल में जाने से पहले अपना मोबाइल, बैग, पेन, कार की चाबी इत्यादि बाहर ही जमा करना पड़ा। बैठक में पार्टी के सांसद समेत कई प्रभारी भी शामिल हुए।
लोकसभा में बसपा के नेता नियुक्त हुए दानिश अली को कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा का करीबी माना जाता है। लोकसभा चुनाव से पहले देवगौड़ा की मदद से अली बसपा में शामिल हुए थे। वहीं, दूसरी ओर मायावती के भतीजे को लेकर यह संभावना जताई जा रही है कि वे मायावती के बाद दूसरे सबसे बड़े चेहरे बन सकते हैं। जब लोकसभा चुनाव से पहले बसपा के स्टार प्रचार के रूप में आकाश को नामित किया गया था, तब एक बसपा नेता ने टेलिग्राफ को बताया था, “आकाश का स्टार प्रचारक के तौर पर शामिल होना भविष्य में उन्हें पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी देने की शुरूआत है।”
लोकसभा चुनाव के बाद राज्य की 13 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा और सपा दोनों ने अलग-अलग लड़ने का फैसला किया है। बैठक में उपचुनाव की तैयारियों को लेकर भी चर्चा की गई। जिला को-ऑर्डिनेटर से लेकर अन्य पदाधिकारी इसमें शामिल हुए। 18 जून को लखनऊ पहुंचने के बाद ही मायावती ने फोन पर उपचुनाव से संबंधित जानकारी पदाधिकारियों से लेनी शुरू कर दी थी। प्रत्याशी चयन के लिए भी विशेष सतर्कता बरतने की बात कही जा रही है। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि मायावती इस उपचुनाव को अपने सियासी वजूद से जोड़कर देख रही हैं। जिन लोगों का कहना है कि सपा से गठबंधन की वजह से बसपा को लोकसभा चुनाव में 10 सीटें मिली, मायवती उन्हें इस चुनाव में यह दिखाना चाहती हैं कि यह उनके वजूद का प्रभाव है।
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