लोकसभा 2024 के लिए बीजेपी की तैयारियां जारी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बार बीजेपी के लिए 2019 लोकसभा से भी ज्यादा टारगेट रखा है। 2019 में बीजेपी को 303 सीटों पर जीत मिली थी जबकि इसबार बीजेपी के इन दोनों दिग्गजों ने बीजेपी के लिए 400+ का टारगेट रखा है।
अपने इस प्लान को सफल बनाने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तीन सदस्यों की टीम बनाई है। इस टीम में सुनील बंसल, विनोद तावड़े और तरुण चुघ को जगह दी गई है। ये तीनों ही बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी हैं।
यह टीम 2024 लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के लिए डिटेल में रणनीति तैयार करेगी। इनका रोल ग्रासरूट पर काम करके उन लोकसभा क्षेत्रों की पहचान करना होगा, जहां बीजेपी के उम्मीदवार 2019 के चुनावों में दूसरे स्थान पर आए थे। इसके अलावा ये टीम लोकल बीजेपी इकाइयों से समन्वय के जरिए संभावित उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने का भी काम करेगी।
आइए आपको विस्तार से बताते हैं बीजेपी के इन योद्धाओं के बारे में जो पर्दे के पीछे से बड़ा खेल करेंगे।
सुनील बंसल
सियासत में रूचि रखने वाले शायद ही कोई उत्तर भारतीय इस नाम से परिचित न हो। लोकसभा चुनाव 2014 में सुनील बंसल ने अमित शाह के साथ यूपी में काम किया था। इसके बाद 2017 विधानसभा और 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत का सेहरा भी इनके ही सिर बांधा जाता है। 2019 लोकसभा में भी इनके नेतृत्व में बीजेपी संगठन ने सभी विपक्षी पार्टियों को चित्त कर दिया।
पिछले अगस्त में सुनील बंसल को पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना का प्रभारी राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया है। इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी का शासन नहीं है। 2024 में एंटी इनकंबेंसी की वजह से उत्तर भारत से होने वाले नुकसान को बीजेपी इन राज्यों से पूरा करना चाहती है। 2021 विधानसभा चुनाव के बाद से बंगाल में बिखरती बीजेपी में बंसल नई जान फूंकने के काम कर रहे हैं। उन्होंने सितंबर 2022 में यहां पहला दौरा किया था।
राजस्थान में जन्मे सुनील बंसल (53 साल) अपने छात्र जीवन से ही RSS से जुड़े हुए हैं। जिस टीम में सुनील बंसल को शामिल किया गया, उस पैनल का तात्कालिक काम देश भर में राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों की एक सीरीज का आयोजन करना है – जिसमें 6 अप्रैल को भाजपा स्थापना दिवस और केंद्र में पीएम मोदी की सरकार की नौवीं वर्षगांठ शामिल है – बंसल और उनकी टीम सभी राज्यों में बीजेपी की इकाइयों के साथ बातचीत करेगी।
विनोद तावड़े
उत्तर भारतीयों के लिए विनोद तावड़े भले ही कम सुना हुआ नाम हों लेकिन महाराष्ट्र में एक समय में उन्हें देवेंद्र फडणवीस का कंपटीटर माना जाता था। 2019 में फडणवीस सरकार के दौरान साइडलाइन किए गए तावड़े ने दमदार वापसी की है। बीजेपी नेतृत्व द्वारा उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका देना निश्चित तौर पर उनके परिणाम देने की क्षमता में उनके प्रति बढ़ते विश्वास को दिखाता है। यह उनके लिए भी अपनी ताकत साबित करने का एक नया अवसर है।
विनोद तावड़े फडणवीस सकार में स्कूली शिक्षा, चिकित्सा और उच्च तकनीकी शिक्षा, खेल, संस्कृति और मराठी भाषा जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे थे। 2019 में विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान आखिरी वक्त में उनका टिकट काट दिया गया। विनोद तावड़े के लिए बड़ा झटका था लेकिन पार्टी के एक वफादार सैनिक की तरह उन्होंने बीजेपी के फैसला का सम्मान करते हुए उम्मीदवार सुनील राणे के पक्ष में प्रचार किया।
2020 में विनोद तावड़े को केंद्र की राजनीति में शिफ्ट कर दिया गया। उन्हें नड्डा की टीम में नेशनल सेक्रेटरी बनाया गया। एक साल तक उनका काम देखने के बाद 2021 में उन्हें नेशनल जनरल सेक्रेटरी पद दिया गया। तब तावड़ ने कहा था, “मेरे धैर्य को पुरस्कृत किया गया है। यह एक सबक है जिसे हर कार्यकर्ता को ध्यान में रखना चाहिए।”
बीजेपी में तावड़े की गिनती एक संगठनात्मक व्यक्ति और चुनावी रणनीतिकार के रूप में होती है। उन्होंने ABVP के साथ छात्र जीवन में अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी। वह एबीवीपी के नेशनल प्रेजिडेंट भी बने। वह साल 1999 में मुंबई बीजेपी के सबसे युवा अध्यक्ष भी थे। इससे पहले वह 1995 में महाराष्ट्र बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी थे। वह 2008 से 2014 तक एमएलसी भी रहे हैं।
तरुण चुघ
सुनील बंसल और विनोद तावड़े की तरह तरुण चुघ भी एबीवीपी के रास्ते बीजेपी में पहुंचे हैं। 50 साल के तरुण चुघ बीजेपी के उन प्रमुख व्यक्तियों में से हैं, जो पार्टी के लिए लॉजिस्टिक्स समन्वय का काम करते हैं। वह पार्टी और उसके वरिष्ठ नेताओं के लिए कार्यक्रम कैलेंडर भी तैयार करते हैं। अमृतसर से संबंध रखने वाले तरुण चुग साल 2020 से तेलंगाना बपीजेपी के जनरल सेक्रेटरी इन चार्ज है। उनके कमान संभालने के बाद से तेलंगाना बीजेपी में एक्टिव दिखाई दे रही है। सूत्रों की मानें तो टीम में चुघ की अपेक्षित भूमिका चुनाव से पहले पार्टी द्वारा आयोजित किए जाने वाले कई कार्यक्रमों के लिए वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के साथ समन्वय करने की होगी। इसे अंतिम रूप देने के लिए वह सभी राज्य इकाइयों के साथ समन्वय करेंगे।