अलवर में मॉब लिंचिंग: 4 किलोमीटर दूर था अस्पताल, पहुंचने में पुलिस को लगे तीन घंटे
शनिवार सुबह 9.20 बजे दर्ज की गई एफआईआर कहती है कि, रामगढ़ पुलिस थाने में तैनात असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) मोहन सिंह दो कांस्टेबल्स के साथ रूटीन पैट्रोल पर थे, जब रात 12.41 बजे उन्हें शर्मा की ओर से फोन आया कि 'कुछ लोग पैदल राजस्थान से हरियाणा के बीच गायों की तस्करी कर रहे हैं।'

अलवर के लालावंडी गांव, जहां रकबर उर्फ अकबर की शुक्रवार रात गौ-तस्करी के शक में हत्या हुई, वहां से रामगढ़ कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (CHC) बमुश्किल 4 किलोमीटर दूर है। इसके बावजूद पुलिस को घटनास्थल से CHC तक पहुंचने में ढाई घंटे से ज्यादा लग गए, वहां लाए जाने तक रकबर मर चुका था। एफआईआर में दर्ज है कि विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की गौ रक्षा सेल प्रमुख, नवल किशोर शर्मा का शनिवार (21 जुलाई) रात 12.41 बजे संदिग्ध गौ-तस्करी को लेकर फोन आया। पुलिस शर्मा को साथ लेकर घटनास्थल पर पहुंची, जहां उसे खून से लथपथ रकबर मिला। पुलिस ने रकबर को साफ किया, घटनास्थल पर उससे पूछताछ की और फिर उसे CHC लेकर आए, जहां पहुंचने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया।
रकबर अपने एक साथी असलम खान के साथ पैदल ही गायें ले जा रहा था जब उसे लालावंडी में गांववालों ने रोका। रामगढ़ पुलिस थानांतर्गत आने वाले इलाके में रकबर पर हमला हुआ, असलम जान बचाकर भागने में सफल रहा। द इंडियन एक्सप्रेस ने शर्मा, स्थानीय गवाहों, CHC के डॉक्टर और एक चायवाले समेत कई लोगों से बात कर उस रात की कड़ियां जोड़ने की कोशिश की तो पता चला कि शर्मा की कॉल आने के बाद, पुलिस ने उसे जीप में बिठाया और घटनास्थल पर लेकर गए। यहां उन्होंने रकबर को उठाया, उसे साफ किया, चाय पीने रुके, पुलिस थाने में उसके कपड़े बदलवाए और फिर उसे लेकर रामगढ़ CHC आए।
शनिवार सुबह 9.20 बजे दर्ज की गई एफआईआर कहती है कि, रामगढ़ पुलिस थाने में तैनात असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) मोहन सिंह दो कांस्टेबल्स के साथ रूटीन पैट्रोल पर थे, जब रात 12.41 बजे उन्हें शर्मा की ओर से फोन आया कि ‘कुछ लोग पैदल राजस्थान से हरियाणा के बीच गायों की तस्करी कर रहे हैं।’ एफआईआर कहती है कि ASI और अन्य शर्मा से रामगढ़ पुलिस थाने के बाहर मिले और फिर वे करीब चार किलोमीटर दूर लालावंडी के लिए निकले।
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में शर्मा कहते हैं, ”कुछ स्थानीय युवकों ने मुझे आधी रात को फोन किया था मगर मेरा फोन म्यूट पर था इसलिए उन्होंने मेरे भतीजे को फोन किया। उसने मुझे जगाकर बताया कि गांववालों ने एक गौ-तस्कर को पकड़ा है और मुझे पुलिस बुलाने को कहा है। इसलिए मैंने 12.41 बजे पुलिस को फोन किया। मैं थाने के पास ही रहता हूं तो पहुंचने में बमुश्किल 5 मिनट लगे और फिर मैं पुलिस जीप के इंतजार में 5-10 मिनट रुका। हम रात 1.15 या 1.20 तक स्पॉट पर पहुंच गए थे।”

शर्मा के मुताबिक लालावंडी में उन्हें रकबर कीचड़ में लेटा मिला, पास ही एक पेड़ से दो गायें बंधी थीं। कुछ गांववाले पुलिस जीप देखकर भाग गए थे। शर्मा ने कहा, ”हालांकि कुछ गांववाले रुके रहे। मैं उनके नाम नहीं बताना चाहता। उनकी मदद से हम रकबर को खेतों से सड़क पर लेकर आए।” पुलिस कहती है कि उन्हें मौके से धर्मेंद्र और परमजीत मिले थे, जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
शर्मा के मुताबिक, उन्होंने रकबर को पुलिस जीत में बिठाया और गांव के घरों की ओर चल पड़े जो करीब 2.2 किलोमीटर दूर थे। वहां पर पुलिस ने दो गायों को लादने के लिए एक तिपहिया वाहन का जुगाड़ किया। शर्मा के भाई देव करन जो उसी गांव में रहते हैं, ने कहा, ”मैं कुछ आवाज सुनकर उठा। पुलिस कीचड़ से सने एक व्यक्ति को उठाकर लाई थी। कुछ लोग उसे धोने के लिए पानी लेने चले गए। देव की रिश्तेदार माया (61) कहती हैं, ”मैं पुलिसवाले के चिल्लाने से जगी। वह किसी को गाली देते हुए लात मार रहा था।”
पास में रहने वाले किशोर से अपना तिपहिया निकाल उसपर गायें चढ़ाने को कहा गया। उसकी पत्नी गुड्डी कहती है, ”मैं नहीं जानता कितना बजा था मगर मैंने उसे पीने को थोड़ा पानी दिया। पुलिस ने पूछा मेरा पति कहां गया और गायों को ऑटो में लोड करने के लिए चलने को बोला।” शर्मा का दावा है कि पुलिस ने धर्मेंद्र और परमजीत (दोनों को नरेश शर्मा के साथ गिरफ्तार किया जा चुका है) को पानी लाने के लिए भेजा। शर्मा के मुताबिक, ”पुलिसवालों ने कहा कि धर्मेंद्र का शरीर रकबर से मिलता है, उन्होंने उससे एक जोड़ी कपड़े लाने को कहा क्योंकि इस व्यक्ति के कपड़े सफाई के बाद भीग गए थे।”

शर्मा कहते हैं कि इसके बाद वह पुलिस टीम के साथ रामगढ़ थाने पहुंचे, जहां गायें लदवाने के लिए किशोर गाड़ी लेकर पहुंचने वाला था। रास्ते में पुलिस गोविंदगढ़ में चाय की दुकान पर रुकी, जो लालावंडी से तीन किलोमीटर दूर है। दुकान चलाने वाले लाल चंद (47) कहते हैं, ‘पुलिस की जीप रुकी, ड्राइवर आया और चार कप चाय मांगी। बाकी लोग नहीं उतरे। मैं नहीं देख सका कि जीप में कौन था। वो चाय पीकर चले गए।” चंद के मुताबिक, उसकी दुकान चौबीसों घंटें खुली रहती है क्योंकि उसकी दुकान का सामान भीतर नहीं आएगा।
शर्मा के अनुसार, रकबर ने चाय पीने से मना कर दिया और वे करीब 1.45-2.00 बजे थाने पहुंचे। तब तक गायों के साथ तिपहिया पहुंच चुका था। शर्मा का दावा है, ”पुलिस ने रकबर के कपड़े बदलने में मदद की। उन्होंने उसे पीटा और फिर पूछताछ की। मैंने पुलिस से कुछ लोगों की भूमिका के बारे में चर्चा की क्योंकि मुझे इसमें तस्करी का शक था। चूंकि मैं एक गौ-रक्षक हूं तो मैं रामगढ़ को अच्छी तरह से जानता हूं। फिर मैं रात करीब 3 बजे थाने से निकला और गायों को अलवर रोड पर सुधा सागर गौशाला लेकर गया।” एफआईइार के अनुसार, पुलिस जीप में एक कांस्टेबल गौशाला तक गया।
सुधा गौशाला के इंचार्ज कपूर जैन (40) के अनुसार, ”मुझे पहली कॉल सुबह 3.12 पर आई। 3.26 पर एक पुलिस जीप, दो गायें लादे एक तिपहिया वाहन, कुछ युवक और नवल शर्मा गौशाला पर आए।” शर्मा कहते हैं कि वह सुबह 4 बजे वापस थाने पहुंचे। उनका दावा है, ”जब मैं गौशाला के लिए निकला था, रकबर जिंदा था और सांस चल रही थी मगर जब तक मैं वापस पहुंचा, वह मर चुका था।”
पुलिस इसके बाद रकबर को रामगढ़ CHC लेकर आए। यहां रजिस्टर में एंट्री नंबर 8,049 में दर्ज है, ”पुलिस द्वारा 4.00 AM पर अज्ञात लाश लाई गए 28 वर्ष/पुरुष।” CHC इंचार्ज डॉ हसन अली खान ने कहा, ”मेरे स्टाफ ने मुझे ठीक 4 बजे फोन किया कि एक शख्स लाया गया है जो मृत लग रहा है। मैं (स्टाफ क्वार्टर्स से) नीचे आया और देखा कि वह व्यक्ति तो पहले ही मर चुका था। वहां 4-5 पुलिसवाले और दो युवक खड़े थे, जिसमें से एक सिख (परमजीत, जिसे पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है) था।
खान ने कहा, ”मैंने पूछा कि क्या हम पोस्टमॉर्टम करें पर पुलिस ने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है और पोस्टमॉर्टम अलवर में ही होना चाहिए।” खान के मुताबिक, रकबर के कपड़े सूखे थे, सिर्फ जांघों पर कुछ नमी थी। अलवर एसपी अनिल बेनीवाल ने डॉक्टरों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के हवाले से कहा, ”रकबर की पसलियां टूटी थीं और अंदरूनी रक्तस्त्राव से उसकी मौत हो गई।”
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