Ajam Khan Plea in Supreme Court: अदालती आदेश के चलते यूपी में रामपुर की विधायकी गंवाने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान (Ajam Khan) को 4 जनवरी, 2023 को एक और झटका लगा। उन्होंने अपने खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज सारे मामले राज्य से बाहर सुने जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से गुहार लगाई थी। दलील रखने के लिए कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) जैसे महंगे वकील को रखा था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल की कोई दलील नहीं चली और अर्जी खारिज हो गई।
CJI Chandrachud को Kapil Sibal की दलील में नहीं लगा दम
आजम खान की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों में यूपी में निष्पक्ष ट्रायल नहीं होगा। इसे खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यूपी में उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि सॉरी, और ठोस वजह लाइए। उन्होंने कहा-
“जब हम केस ट्रांसफर करते हैं, तो हमें ट्रांसफर के लिए और ठोस कारणों की जरूरत होती है। हम आपको हाई कोर्ट जाने की आजादी दे रहे हैं, लेकिन हम केस ट्रांसफर नहीं कर सकते।”
काम नहीं आई Kapil Sibal की दलीलें
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ में आजम खान की अर्जी की सुनवाई हुई।
- आजम की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा- उत्तर प्रदेश में आजम खान के खिलाफ दर्ज मामलों की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकेगी। इसका प्रमाण यह है कि जिस केस में सजा होने के चलते आजम खान को रामपुर सीट से विधायकी गंवानी पड़ी, उसमें सेक्शन 482 के तहत अतिरिक्त सबूत पेश किए जाने से संबंधित याचिका हाईकोर्ट में लंबित ही रह गई और मामले में आजम को सजा सुना दी गई।
- आजम खान को सैकड़ों एफआईआर दर्ज करके परेशान किया जा रहा है। पुलिस उनके खिलाफ जाली कागजात पेश कर रही है और ट्रायल कोर्ट में उनकी आपत्ति पर विचार किए बिना कार्यवाही आगे बढ़ाई जा रही है।
- कोर्ट कपिल सिब्बल की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि अगर आजम खान को किसी अदालती आदेश से दिक्कत है तो वह ऊंची अदालत में चुनौती दे सकते हैं। गलत आदेश पारित होना पक्षपात नहीं कहा जा सकता और न ही मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने का आधार बन सकता है।
सीजेआई डीवाय चंद्रचूड़ बोले-
आप सीआरपीासी की धारा 482 के तहत इलाहाबाद उच्च न्यायालय जा सकते हैं। अभी तो ट्रायल चल रहा है और गवाहों के बयान लिए जा रहे हैं। यह केस स्थानांतरित होने का आधार नहीं बन सकता। क्या आप इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दे सकते? आप यूपी में किसी दूसरे जिले में केस स्थानांतरित करने की मांग भी कर सकते हैं। पर आप कह रहे कि राज्य में कहीं भी आपकी बात नहीं सुनी जाएगी! माफ कीजिएगा, हम स्थानांतरित (केस) नहीं कर सकते।
कपिल सिब्बल ने कहा
केस दूसरे जिले में स्थानांतरित करने से बात नहीं बनेगी। सवाल किसी एक जज का नहीं है, सरकार का है। हर जगह वही बात है।
बेंच इससे भी संतुष्ट नहीं हुआ और कहा-
हमें केस स्थानांतरित करने के लिए ठोस वजह चाहिए। हम आपको हाईकोर्ट जाने की छूट देते हैं, पर हम स्थानांतरित नहीं कर सकते।