अक्षय कुमार की फिल्म Airlift को समीक्षकों से लेकर दर्शकों तक सभी पसंद कर रहे हैं। फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर शानदार ओपनिंग मिली है। दमदार कहानी और शानदार अभिनय की वजह से Airlift को खूब वाहवाही भी मिल रही है, लेकिन इन सबके बीच फेसबुक पर एक अनजान की लड़की की पोस्ट ने सच्ची घटना पर आधारित Airlift को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। आखिर 1990 के कुवैत रेसेक्यू का असली हीरो कौन है। फिल्म में दिखाया गया किरदार रंजीत कात्याल या फिर सनी मैथ्यूज? आपको बता दें कि Airlift में अक्षय कुमार ने रंजीत कात्याल का किरदार निभाया है। फिल्म में उन्हें ही उस ‘कुवैत रेसेक्यू’ का हीरो दिखाया गया है, जिन्होंने इराक के हमले के दौरान डेढ़ लाख से ज्यादा भारतीयों को Airlift कराया था।
फेसबुक पर मैसेज पोस्ट करने वाली लड़की के दावे पर विश्वास करें तो सनी मैथ्यूज ही वो रियल हीरो थे, जो 170,000 भारतीयों को कुवैत से बचाकर वापस देश लेकर आए थे। रिया मैथ्यूज नाम लड़की ने फेसबुक वॉल पर मैसेज पोस्ट कर लिखा, ‘आज एयरलिफ्ट रिलीज हो गई। यह फिल्म 1990 में इराक युद्ध के दौरान सबसे बड़े सिविल इवेक्युएशन (कुवैत में रहने वालो भारतीयों को बचाना) पर आधारित है। अक्षय कुमार का रोल मेरे दादा जैसे कुछ लोगों पर बेस्ड है। जिन्होंने एक लाख 70 हजार भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। मेरे दादा अपनी जान जोखिम में डालकर वहां रुके रहे, उन लोगों को बाहर निकलने में मदद की। वह एक महान व्यक्ति हैं और उन्होंने सक्सेस के जरिए से ह्यूमिनिटी, ग्रैटिटयूड और लव पर जोर दिया।’
‘खासतौर पर उन लोगों के लिए जो इतने भाग्यशाली नहीं होते। वह एक इन्सपिरेशनल शख्सियत हैं, जिन्होंनें कई लोगों के दिलों को छुआ और दूसरों के लिए जिंदगी जी है। मेरी भी विश है कि काश मैं उनका आधा ही कर पाऊं। हो सकता है कि उनके पास लंबी उम्र न रही हो, लेकिन फिल्मों के जरिए उनकी लेगेसी कायम रहेगी और जिसके लिए मुझे हमेशा प्राउड रहेगा।’
रिया मैथ्यूज ने अपनी फेसबुक वॉल पर अखबारों की कुछ कटिंग्स भी लगाई हैं, जिनमें हेडिंग लगे हैं- ‘सेल्यूट टू सनी, द सेवियर’। हालांकि, कुछ और मीडिया रिपोर्ट में भी सनी मैथ्यूज को ही रियल हीरो बताया जा रहा है। वैसे कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि विदेश मंत्रालय के अधिकारी रियल लाइफ में रंजीत कात्याल नाम के किसी शख्स के वजूद से ही इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि कुवैत रेसेक्यू भारतीय विदेश मंत्रालय ने चलाया था, जिसमें कुवैत में रहने वाले कुछ भारतीयों ने योगदान दिया था।
