एयर मार्शल आर नांबियार भारतीय वायुसेना के वेस्टर्न कमांड में फिलहाल एओसी-इन-सी हैं। वह इंडियन एयरफोर्स के पहले फाइटर पायलट थे, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों पर लेजर गाइडेड बम बरसाए। मिराज 2000 उड़ाने वाले नांबियार ने कारगिल युद्ध के दौरान आठ में से 5 लेसर गाइडेड बम (LGB) गिराए। उन्हें वायु सेना मेडल (गैलेंट्री) से नवाजा गया।

द इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिंह ने उनसे बातचीत की। नांबियार ने कारगिल युद्ध का वक्त याद करते हुए कहा कि उस वक्त उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं थे, इसलिए जो भी संसाधन मौजूद थे, उनसे ही जमकर लड़ाई लड़ी गई। वायुसेना ने जो भी संसाधन उपलब्ध थे उन्हें जुटाया और जंगी ऐक्शन का प्लान बनाया। नांबियार के मुताबिक, उपलब्ध संसाधनों से ही वायुसेना ने ऐसी क्षमता हासिल कर ली, जिसके बारे में उससे पहले तक सोचा नहीं जा सकता था।

उन्होंने बताया कि मिराज 2000 विमान देश में 1985 में ही आ चुका था। हालांकि, 1999 में जब इसका इस्तेमाल करने के बारे में सोचा गया तो यह पहाड़ी इलाकों में हमला करने के लायक नहीं था। इसके बावजूद तत्कालीन हालात में लक्ष्य को भेदने के लिए जो प्लान बनाया गया, उसे काबिले तारीफ ढंग से हासिल किया गया। नांबियार लेजर गाइडेड बम की प्रणाली इस्तेमाल करने वाले पहले पायलट थे। उनसे पहले इस सिस्टम का इस्तेमाल नहीं किया गया था। जब वह इन बमों को गिराने गए तो उनके मन में क्या चल रहा था?

इस बारे में पूछे जाने पर नांबियार ने बताया कि मन में पहली चीज तो यही थी कि यह काम करेगी कि नहीं? कुछ गलत तो नहीं होगा? नांबियार के मुताबिक, जंग के मैदान में एक ट्रायल किया जाना था, इसलिए मन में कई तरह की अनिश्चितताएं थीं। उन्होंने कहा कि ऐसे मिशन के लिए चुना जाना सम्मान की बात थी, लेकिन नाकाम होने का डर भी सता रहा था। नांबियार ने बताया कि मिशन के खत्म होने के बाद वह बेहद रोमांचित थे क्योंकि मिशन बेहद कामयाब रहा।

इस कामयाबी के लिए उन्होंने टीम के हर सदस्य को क्रेडिट दिया। नांबियार ने बताया कि कारगिल की जंग से सबसे बड़ा सबक यही मिला कि हमें दिन और रात को युद्ध लड़ने के लिए और क्षमता की जरूरत है। कम से कम रात की लड़ाई के लिए अपनी क्षमताओं को पैना करने की तो बेहद जरूरत थी। कारगिल में दुश्मनों को रात में निशाना बनाने में बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती और इसमें इजरायल ने काफी मदद की। इजरायल ने अपनी एक टीम भेजी, जिन्होंने कड़ी मेहनत करके सॉफ्टवेअर की खामियों को दूर किया।