इससे ज्यादा से ज्यादा मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया जा सकेगा। इसके अलावा सभी अस्पतालों में मरीजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए रेफरल सिस्टम को दो आयामी करने और मानव संसाधनों की तादाद बढ़ाने उनके प्रशिक्षण को बेहतर करने सहित तमाम मुद्दों पर चर्चा की गई। एम्स सूत्रों ने यह जानकारी दी।
एम्स निदेशक डा एम श्रीनिवास ने एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, जीटीबी, जीबीपंत सहित तमाम अस्पतालों के बीच मरीजों को लेकर आपसी तालमेल बेहतर करने के लिए चिकित्सकों के बीच में आपस में संपर्क बढ़ाने व तालमेल बिठाने की जरूरत पर भी बल दिया। सूत्रों के मुताबिक, इस पहल को सभी ने सकारात्मक कदम बताते हुए इस दिशा में प्रयास करने और स्वास्थ्य सेवा बेहतर करने के लिए सरकारों पर दबाव बनाने की सहमति जताई। एम्स आरडीए के उपाध्यक्ष डा विनय कुमार ने कहा कि इस तरह की पहल की बड़ी जरूरत है।
इससे हम ज्यादा मरीजों को बचाने में कामयाब होंगे। वही सेकेंडरी केयर अस्पतालों में होने वाली अनावश्यक भीड़ को भी कम किया जा सकेगा और जरूरत वाले गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज देने में वह बिस्तर का इस्तेमाल किया जा सकेगा उन्होंने कहा कि जिन मरीजों का छोटा-मोटा फ्रैक्चर दूसरे अस्पतालों में किया जा सकता है वह वहीं किया जाए।
जिसे गंभीर इलाज चाहिए वही एम्स आए।
गंभीर मरीजों के लिए बड़े अस्पतालों में बिस्तर खाली किए जाएंगे
बैठक में कहा गया कि जो मरीज हल्के लक्षण वाले हैं और उन्हें दूसरे अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तर पर इलाज दिया जा सकता है तो बड़े अस्पतालों से ऐसे मरीजों को छोटे अस्पतालों में भेजा जाए और गंभीर मरीजों को बड़े अस्पतालों में इलाज के लिए बिस्तर खाली किया जाए। साथ ही जिन छोटे अस्पतालों में उच्च तकनीकी प्रशिक्षण की जरूरत है उनको एम्स की ओर से प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगले तीन महीने तक अपने डाक्टरों को भेजकर के इन अस्पतालों में सिस्टम खड़ा करने या मरीजों को आपरेट करने की एम्स सुविधा भी देने को तैयार हुआ है। इसी तरह मरीजों की उपलब्धता और इमरजंसी सेवाएं बेहतर करने के लिए भी डाक्टरों को उपाय किए जाने की जरूरत पर बल दिया गया। बैठक में दिल्ली के आरएमएल, लेडी हार्डिंग, जीटीबी ,जीबी पंत अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी चिकित्सा अधीक्षक, चिकित्सा निदेशक मौजूद थे।