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क्या मुफ्त होगी कोरोनावायरस वैक्सीन?, कौन उठाएगा खर्च?, क्या है सरकार की टीकाकरण योजना?, AIIMS निदेशक ने दी जानकारी

एक दिन पहले ही सरकार की तरफ से बनाए गए एक्सपर्ट पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन को मंजूरी के लिए DCGA के पास भेज दिया।

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दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया। (ANI)

भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच जल्द ही सरकार वैक्सीन लॉन्च कर सकती है। एक दिन पहले ही वैक्सीन के लिए सरकार द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा उत्पादित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन को भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल (DCGI) के पास मंजूरी के लिए भेजा है। इस बीच अब यह सवाल उभर रहा है कि वैक्सीन लॉन्च होने के बाद आखिर कैसे सरकार इसे पहले से किसी अन्य बीमारी से पीड़ित लोगों तक पहुंचाएंगी और कैसे तय होगा कि कितने बीमार लोगों को यह लगनी चाहिए। साथ ही दवा की कीमतों को लेकर भी संशय बरकरार है।

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि वैक्सीन सिर्फ दिल्ली ही नहीं, सारे देश में फ्री होगी। दूसरी तरफ ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने पूरी प्रक्रिया समझाते हुए कहा कि सरकार वैक्सीन लॉन्चिंग के बाद अगले छह से आठ महीनों में देश के 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना बना रही है। इनमें सबसे पहले डॉक्टर, नर्स और महामारी से लड़ाई में जुड़े लोग- जैसे पुलिसकर्मी और अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स शामिल हैं।

डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि वे टीकाकरण की योजना तैयार कर रही एक कमेटी का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि हमने एक मानक तैयार किया है। चाहे किसी को डायबिटीज हो, या गुर्दे से जुड़ी समस्याएं या सांस संबंधी दिक्कतें। इन सबके लिए एक स्कोरिंग सिस्टम तैयार किया गया है, जिसके जरिए पहले से बीमार लोगों को भी बीमारी की गंभीरता को देखते हुए वैक्सीन दी जाएगी।

उदाहरण के तौर पर किसी को डायबिटीज है, लेकिन उनकी डाइट नियंत्रित है। दूसरी तरफ एक व्यक्ति पिछले 10 सालों से इंसुलिन ले रहा है, यानी जिसे ज्यादा खतरनाक डायबिटीज है। ऐसे में यह व्यक्ति वैक्सिनेशन के लिए हमारी प्राथमिकता बन जाता है, न कि पहले से स्थिर व्यक्ति।

वैक्सीन की कीमतों पर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि फिलहाल वैक्सीन को सरकार की तरफ से समर्थन दिया गया है, यानी यह सरकार की किसी अन्य वैक्सीन योजना के तहत ही किया जाएगा। इसलिए मुझे नहीं लकता कि वैक्सीन के लिए कोई भी खर्च आना चाहिए।

दो वैक्सीन डोज के बीच आने वाले गैप को लेकर डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि टीकाकरण में यह सबसे अहम पहलू है। पहली और दूसरी वैक्सीन डोज के बीच 28 दिन का गैप कोई अनिवार्य नहीं है। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में वैक्सीन की एक डोज और दूसरी डोज के बीच 28 दिन से 12 हफ्तों तक का गैप निश्चित किया गया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीन लगवा कर प्रतिरोधक क्षमता बढ़वा सकते हैं। इतना ही नहीं इससे दूसरी डोज लगाने का दबाव भी खत्म होगा। ब्राजील में भी इसी तरह के टीकाकरण टाइमलाइन ने दिखाया है कि दो डोज के अंतर की वजह से प्रतिरोधक क्षमता पर असर नहीं पड़ता है।

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First published on: 02-01-2021 at 08:26 IST
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