अगस्ता वैस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे मामले में प्रमुख आरोपी सीए राजीव सक्सेना ने कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं। ईडी से पूछताछ में राजीव ने दावा किया कि एजेंसी द्वारा शुरू की गई जांच को दबाने के लिए उसने पर्सनल ट्रेनर्स के साथ मिलकर नई कंपनी खोल ली।
इसके अलावा अन्य रक्षा सौदे में मनीलॉन्ड्रिंग में शामिल रहा। ईडी ने दावा किया था कि दुबई में एक विला और पांच स्विस बैंक खातों सहित अन्य संपत्ति को अटैच करने के दौरान राजीव सक्सेना ने यह स्वीकार किया था कि उसने सिर्फ अगस्ता वेस्टलैंड सौदे के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य रक्षा सौदों के लिए भी मनीलॉन्ड्रिंग की है। मुख्य आरोपी सीए राजीव सक्सेना फिलहाल जमानत पर है। सक्सेना को जनवरी 2019 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और ईडी ने उससे पूछताछ की थी।
ईडी सक्सेना की 385 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुकी है। इस मामले में ईडी ने अब सक्सेना का अप्रूवर स्टेटस खत्म करने के लिए अपील दायर की है। द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा हासिल किए गए 1,000 से अधिक पन्नों में रिपोर्ट में, सक्सेना ने बार-बार दावा किया कि जांच शुरू होने तक वह इस बात से अनजान था कि उनके द्वारा पैसों के लेनदेन या अगस्ता वैस्टलैंड सौदे से डिफेंस डीलर सुषेन मोहन गुप्ता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी, एडवोकेट गौतम खेतान का कोई लेना देना था।
लेकिन सक्सेना ने ईडी के सामने खुद से पूछताछ में यह स्वीकार किया कि अगस्ता वेस्टलैंड जांच शुरू होने के बाद उसे दबाने का प्रयास किया था। 18 अगस्त, 2019 को पूछताछ के दौरान, सक्सेना ने बताया कि जुलाई 2017 में ED द्वारा अपनी पत्नी शिवानी सक्सेना की गिरफ्तारी के बाद, उन्होंने रतुल पुरी के साथ “(उनकी कंपनी) मैट्रिक्स इमर्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर फंड लिमिटेड के ऑनरशिप को ट्रांसफर करने की जरूरत के बारे में चर्चा की। उन्होंने दावा किया कि पुरी इस फैसले से सहमत थे। इसके बाद एक नई कंपनी आर्बोल्स खोल ली।
इस नई कंपनी के शेयरहोल्डर सक्सेना के दो पर्सनल ट्रेनर थे। ये दोनों सक्सेना के करीबी दोस्त भी थे। “मैट्रिक्स ग्रुप (उनकी प्रमुख कंपनी) द्वारा मैनेज किए जाने वाले मैट्रिक्स इमर्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के शेयरों को इस नई कंपनी, मेसर्स आर्बोलस इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड को ट्रांसफर किया गया था। शेयरों के इस ट्रांसफर के दौरान कोई चर्चा नहीं की गई थी क्योंकि इसका फायदा रतुल पुरी को ही मिलना था।