बंदूकधारी 100 पुलिस वाले मेरे घर में घुस आए थे, मारा-पीटा और जूते तक न पहनने दिए थे- आपबीती बयां कर Republic TV पर बोले अर्णब गोस्वामी
अर्नब ने सुप्रीम कोर्ट के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि जब कोई केस ही नहीं बनता तो एक भी दिन किसी को जेल में रखना गलत है।

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने रायगढ़ पुलिस द्वारा उनके घर पर आकर उन्हें गिरफ्तारी करने की घटना को पहली बार अपने शो में पूरी तरह बयां किया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से अंतरिम जमानत के फैसले को बरकरार रखने के बाद अर्नब ने टीवी शो पर कहा कि पुलिस जब मुझे गिरफ्तारी करने आई तो उसका बर्ताव ऐसा था जैसे मैं कोई आतंकवादी हूं। सौ पुलिसवाले, उनके हाथों में एके-47, स्टेन गन, पिस्तौल लेकर मेरे घर में घुसे, मुझे मारा-पीटा और मुझे जूते तक नहीं पहनने दिया। मुझे खींचकर ले गए।
अर्नब ने कहा कि यह गिरफ्तारी गैरकानूनी थी, फिर भी मुझे अलीबाग जेल से लेकर तलोजा जेल तक एक जेल से दूसरे जेल तक आठ दिनों तक चार हजार कैदियों के बीच रखा गया। सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ धारा 306 के तहत कोई केस ही नहीं बनता। सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि कोई राज्य सरकार इस तरह से मनमानी नहीं कर सकती हैं। वो बदले की नीयत से काम करते हुए कानून से खिलवाड़ नहीं कर सकतीं। कोर्ट ने कहा कि जब कोई केस ही नहीं बनता तो एक भी दिन किसी को जेल में रखना गलत है। किसी भी नागरिक को प्रताड़ित करना गलत है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ही अर्नब की अंतरिम जमानत के फैसले पर सुनवाई की थी। इसमें सर्वोच्च न्यायालय ने साफ किया था कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को मिली अंतरिम जमानत तब तक बरकरार रहेगी, जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट एफआईआर रद्द करने की उनकी मांग पर फैसला नहीं ले लेता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हाई कोर्ट उनकी मांग के खिलाफ फैसला देता है, तो भी उन्हें इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए 4 हफ्ते का वक़्त मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बॉम्बे हाई कोर्ट की आलोचना भी की है। कोर्ट ने कहा, ‘हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत अर्जी को खारिज करते वक्त इस तथ्य की अनदेखी कि एफआईआर में दिए गए तथ्यों के मुताबिक, प्रथम दृष्टया अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के प्रयास का मामला नहीं बनता।’
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