TV पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ पहले दिखा दिया केस, बाद में SC को देनी पड़ी सफाई- नहीं दर्ज हुआ कोई केस
आपत्तिजनक ट्वीट को लेकर पत्रकार के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना का मामला दर्ज किया गया। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने देर रात स्पष्ट किया कि उसकी वेबसाइट पर ‘‘अनजाने में’’ दिखाया गया कि पत्रकार के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना का एक मामला दर्ज किया गया है।

पत्रकार राजदीप सरदेसाई के ख़िलाफ़ न्यायपालिका से संबंधित उनके ट्वीट के लिए मुक़दमा किए जाने की ख़बरों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया है और कहा है कि राजदीप के ख़िलाफ़ कोई अवमानना का केस दर्ज नहीं किया गया है। मंगलवार को आपत्तिजनक ट्वीट को लेकर पत्रकार के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना का मामला दर्ज किया गया। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने देर रात स्पष्ट किया कि उसकी वेबसाइट पर ‘‘अनजाने में’’ दिखाया गया कि पत्रकार के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना का एक मामला दर्ज किया गया है।
उच्चतम न्यायालय के उप रजिस्ट्रार (जनसंपर्क) राकेश शर्मा ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा राजदीप सरदेसाई के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू किये जाने संबंधी कुछ समाचार चैनलों में चलायी गई खबरों के संदर्भ में यह स्पष्ट किया जाता है कि राजदीप सरदेसाई के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर मामला नम्बर नंबर. एसएमसी (सीआरएल) 02/2021 के संबंध में दिखायी गई स्थिति त्रुटिवश नजर आ रही है। इसे ठीक करने के लिए उचित कार्रवाई की जा रही है।’’
इससे पहले, शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के आधार पर सरदेसाई के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना मामले के संबंध में मीडिया में खबर आयी थी। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत सरदेसाई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए देश के प्रधान न्यायाधीश से अनुरोध किया गया है।
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 17 सितंबर 2020 को सरदेसाई के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि मौजूदा अवमानना याचिका देश के संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत याचिकाकर्ता द्वारा प्रतिवादी के खिलाफ दायर की जा रही है। यह याचिका इस न्यायालय द्वारा पारित प्रत्येक आदेश पर टिप्पणियों को लेकर है जिससे देश के नागरिकों के मन में उच्चतम न्यायालय की छवि खराब होती है। यह याचिका पिछले साल 21 सितंबर को दायर की गई थी।