छावला मामले के आरोपियों को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने बरी किया था। हालांकि नीचे की अदालतों से तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। इस फैसले को लेकर कई मंचों से विरोध के स्वर सामने आए। पीड़िता के परिजनों ने भी खासा विरोध जताया। लेकिन सप्रीम कोर्ट के कानों पर जूं नहीं रेंगी। अलबत्ता एक ऐसी बात ने शीर्ष अदालत के कान खड़े कर दिए जो वाकई में फैसले पर सवालिया निशान खड़े करती है।
दरअसल फैसले के जल्दी रिव्यू के लिए एक पटीशन पहले भी दो जजों की बेंच के समक्ष दायर की गई थी। लेकिन तब बेंच ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया था। अब जो रिव्यू पटीशन दाखिल की गई है उसमें एक मामले का जिक्र सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने किया गया। पटीशन में कहा गया है कि तीन में से एक आरोपी विनोद को एक आटो चालक की हत्या के मामले में अरेस्ट किया गया है। अगर वो बरी न होता तो एक शख्स की जान बचाई जा सकती थी। याचिका पर गौर करने के बाद सीजेआई ने कहा कि वो इस मामले का रिव्यू करेंगे। इसके लिए तीन जजों की बेंच बनाई जाएगी। इसमें वो खुद भी शामिल होंगे। चंद्रचूड़ ने कहा कि वह रिव्यू सुनवाई के लिए जस्टिस रवींद्र भट व जस्टिस बेला एम त्रिवेदी को भी बेंच में शामिल करेंगे। सीजेआई ने कहा कि नई बेंच 2012 के छावला सामूहिक बलात्कार मामले में रिव्यू पटीशन पर खुली अदालत में सुनवाई करेगी।
दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने रिव्यू पटीशन दाखिल करने की दरखास्त को मंजूरी दी
2012 में दिल्ली के छावला इलाके में 19 वर्षीय एक लड़की से सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। तीनों आरोपियों को पिछले साल सात नवंबर को बरी कर दिया गया था। साल 2014 में ट्रायल कोर्ट ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने बहाल रखा था। उसके बाद तीनों दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। वहां से तीनों बरी हो गए। उसके बाद से पीड़िता के परिजन फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। खास बात है कि रिव्यू पटीशन को दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने रिव्यू पटीशन दाखिल करने की दरखास्त को मंजूरी दी। उसके बाद ये मामला सीजेआई के सामने रखा गया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में उठाई आवाज
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा व जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच से कहा कि इस अदालत की तरफ से बरी किए गए एक आरोपी ने हाल में एक व्यक्ति का गला काट दिया। मेहता ने कहा- मैं यह कह रहा हूं कि बरी किए गए सभी आरोपी खूंखार अपराधी हैं। हम पिछले साल के फैसले की समीक्षा का अनुरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तत्कालीन जीसेआई की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने यह फैसला सुनाया था।