केंद्र सरकार ने अरुणाचल और नागालैंड के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 के तहत “अशांत क्षेत्र” का दर्जा 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने शुक्रवार को दो अलग-अलग अधिसूचनाओं में कहा कि दोनों राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद निर्णय लिया गया है। AFSPA सुरक्षा बलों को किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने, तलाशी लेने और कुछ अन्य कार्रवाइयों का अधिकार देता है।
24 मार्च को जारी हुई गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि AFPSA को 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों में बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा भारत सरकार ने असम राज्य की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के नमसाई जिले, महादेवपुर और चौखाम पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में भी AFSPA का विस्तार किया है।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि AFSPA को नागालैंड के आठ जिलों और 21 पुलिस थाना क्षेत्रों में भी बढ़ाया गया है। इन जिलों को 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक छह महीने की अवधि के लिए “अशांत क्षेत्र” घोषित किया गया है। AFSPA नागालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों में अगले छह महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है।
इसके अलावा, AFSPA को नागालैंड के पांच जिलों के 21 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में बढ़ाया गया है। इनमें जुन्हेबोटो और मोकोकचुंग जिलों में प्रत्येक में छह पुलिस स्टेशन, कोहिमा में पांच पुलिस स्टेशन, वोखा में तीन पुलिस स्टेशन और लॉन्गलेंग जिले में यांगलोक पुलिस स्टेशन का नाम है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 (1958 का 28) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए नागालैंड के चार अन्य जिलों में नौ जिलों और 16 पुलिस स्टेशनों को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया था। यह विस्तार 1 अक्टूबर, 2022 से 30 सितंबर, 2022 तक छह महीने की अवधि के लिए था।
क्या है AFSPA?
AFSPA के तहत सशस्त्र बलों को अशांत क्षेत्रों में सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखने की विशेष शक्तियां दी गई हैं। इस कानून का इस्तेमाल करके सशस्त्र बल किसी भी इलाके में पांच या पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा सकते हैं। अगर सशस्त्र बलों को लगे की कोई व्यक्ति कानून तोड़ रहा है तो उसे उचित चेतावनी देने के बाद बल का प्रयोग किया जा सकता है और गोली चलाई जा सकती है। साथ ही ये कानून सशस्त्र बलों को उचित संदेह होने पर बिना वारंट किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और किसी भी परिसर में प्रवेश कर तलाशी लेने का अधिकार देता है।