PNB Fraud: भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी की मंशा ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर करने की है। ब्रिटेन में फिलहाल उसके प्रत्यर्पण की कार्रवाई चल रही है। नीरव मोदी के उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर करने की संभावना है क्योंकि पिछले ही हफ्ते लंदन की एक निचली अदालत ने जमानत की उसकी दूसरी याचिका को खारिज कर दिया था। नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए एक अरब डॉलर के फर्जीवाड़े और धनशोधन मामले में आरोपी है।
ब्रिटेन की अदालतों में प्रत्यर्पण संबंधी प्रक्रिया के लिए भारतीय अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले शाही अभियोजन सेवा (सीपीएस) ने कहा कि वह न्यायाधीश एम्मा अर्बुथनोट द्वारा उसकी जमानत याचिका खारिज करने के फैसले के खिलाफ अपील करना चाहता है। वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेटी अदालत ने पिछले शुक्रवार को सुनवाई के अंत में इस आधार पर मोदी की याचिका खारिज कर दी थी कि ‘उसके आत्मसमर्पण न करने का जोखिम बहुत ज्यादा है।’’
सीपीएस के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को पुष्टि की, ‘‘श्री मोदी उनकी जमानत पर आए फैसले को चुनौती देने की मंशा रखते हैं लेकिन उन्होंने अब तक याचिका दायर नहीं की है।’’ पहली जमानत याचिका के 20 मार्च को रद्द हो जाने के बाद से वह दक्षिण पश्चिम लंदन के एचएमपी वैंड्सवर्थ की जेल में है। वह 26 अप्रैल को अगली सुनवाई तक उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर कर सकता है।
हालांकि उसकी कानूनी टीम को सीपीएस को 48 घंटे का नोटिस देना होगा और जमानत के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के 48 घंटे के भीतर सुनवाई सूचीबद्ध करानी होगी। मोदी के वकील आनंद दूबे ने जमानत याचिका की योजना के संबंध में पूछे जाने पर कहा, ‘‘हम इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।’’
वहीं, दूसरी ओर बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को हीरा कारोबारी नीरव मोदी की कंपनी कैमलॉट एंटरप्राइसिस को उस मामले में कोई राहत देने से इंकार कर दिया जिसमें फर्म की कुछ पेंटिंग और कलाकृतियों की आयकर विभाग द्वारा पिछले सप्ताह की नीलामी को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता कैमलॉट एंटरप्राइसिस एक मुखौटा कंपनी है जिसमें नीरव मोदी के 99 प्रतिशत से अधिक शेयर हैं। कंपनी ने पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके आयकर विभाग की कर आकलन रिपोर्ट तथा नीलामी के जरिये कर की वसूली कार्यवाही के प्रस्ताव वाले विभाग के नोटिस को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी और न्यायमूर्ति सारंग कोटवाल की पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता का अनुरोध ठुकरा दिया और कहा कि आकलन आदेश के मुद्दे पर, कैमलॉट ने संबंधित अपीलीय न्यायाधिकरण के सामने अपील दायर करने के बजाय सीधे उच्च न्यायालय में गुहार लगाई। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने किसी पेंटिंग या कलाकृति से खास लगाव का दावा नहीं किया और उसने इनके मूल्य को चुनौती नहीं दी है।
पीठ ने कहा, ‘‘अगर याचिकाकर्ता अपीलीय न्यायाधिकरण के सामने सफल होता है तो विभाग द्वारा नीलामी के जरिये वसूली राशि को इसे ब्याज सहित वापस किया जा सकता है।’’ याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि विभाग बकाये के आकलन और नीलामी दोनों के नोटिस उचित ढंग से देने में ‘‘नाकाम’’ रहा। कंपनी ने कहा कि विभाग ने उसके दो निदेशकों रमेश अस्सार और हेमंत भट्ट को नोटिस भेजे। पिछले साल सितंबर में जब नोटिस प्राप्त हुआ तो अस्सार कंपनी से इस्तीफा दे चुके थे और भट्ट उस समय न्यायिक हिरासत में थे। भट्ट के बेटे को नोटिस मिला था और उन्होंने विभाग से कहा कि वह इसका जवाब देने में असमर्थ हैं। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इसलिए, इन नोटिस को अदालत द्वारा निरस्त किया जाना चाहिए।

