ममता बनर्जी को कांग्रेस में आने का न्यौता, अधीर रंजन चौधरी बोले- बीजेपी को हराने का और कोई विकल्प नहीं
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बंगाल में सांप्रदायिक ताक़तों को रोकने के लिए ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस को कांग्रेस के साथ विलय कर देना चाहिए। इस दौरान अधीर ने यह भी कहा कि हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अभी वक्त हैं। लेकिन राजनीतिक गहमागहमी अभी से ही शुरू हो गयी है। इसी बीच पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने सत्तारुढ़ तृणमूल को साथ आने का न्यौता दिया है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए ममता बनर्जी को कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिये। साथ ही अधीर ने कहा है कि बंगाल में बीजेपी को हराने के लिए उनके अलावा कोई और विकल्प मौजूद नहीं है।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बंगाल में सांप्रदायिक ताक़तों को रोकने के लिए ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस को कांग्रेस के साथ विलय कर देना चाहिए। इस दौरान अधीर ने यह भी कहा कि हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले दस सालों से तृणमूल हमारे विधायकों को खरीदने के लिए नजर गड़ाए बैठी है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहती है तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए। इसके अलावा अधीर ने यह भी कहा कि कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जिसने बीजेपी जैसी पार्टियों के खिलाफ देश में धर्मनिरपेक्ष माहौल बनाये रखा था।
इस दौरान अधीर ने कहा कि ममता दीदी को सब पता है। वह कांग्रेस पार्टी छोड़ कर गयी हैं। इसलिए ममता दीदी बिना किसी नेता से बात किये हुए खुद सोनिया गाँधी के पास जा सकती हैं। वह सोनिया गाँधी को जानती भी हैं । इसलिए वह उनसे आसानी से मिल सकती हैं। अधीर ने यह भी कहा कि ममता दीदी कांग्रेस की मदद से ही सत्ता में आई लेकिन उसने कांग्रेस को खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
अधीर के इस बयान से पहले पश्चिम बंगाल के टीएमसी नेता सौगात राय ने कहा था कि अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में बीजेपी के खिलाफ हैं तो उन्हें भगवा पार्टियों के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए। सौगात रॉय ममता बनर्जी के काफी करीबी नेता माने जाते हैं। ज्ञात हो कि आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बंगाल में कांग्रेस और वामदलों ने साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। लेकिन अभी तक सीटों का बँटवारा नहीं किया गया है।