सिर्फ एक महीने पहले गौतम अडाणी की गिनती दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स के रूप में होती थी लेकिन अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की नकारात्मक रपट आने के बाद उनकी अगुवाई वाले समूह के शेयरों में इस कदर बिकवाली हुई कि अब वह सबसे अमीर लोगों की सूची में 30वें स्थान पर आ गए हैं।
अडाणी की संपत्ति में गिरावट आने के साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी फिर से देश के सबसे धनी आदमी बन गए हैं। अंबानी 81.7 अरब डालर की संपत्ति के साथ दुनिया के 10वें सबसे अमीर शख्स हैं। बंदरगाह, हवाई अड्डा, खाद्य तेल, बिजली, सीमेंट और डेटा केंद्र जैसे तमाम क्षेत्रों में कारोबारी दखल रखने वाले अडाणी समूह के शेयरों में बीते एक महीने में भारी बिकवाली हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, अडाणी समूह की 10 कंपनियों के सम्मिलित बाजार मूल्यांकन में इस दौरान 12.06 लाख करोड़ रुपए की बड़ी गिरावट आ चुकी है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रपट 24 जनवरी को जारी की गई थी जिसमें अडाणी समूह पर शेयरों के दाम बढ़ाने में हेराफेरी और फर्जी विदेशी कंपनियों का इस्तेमाल करने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। हालांकि, अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा एवं आधारहीन बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया था। अडाणी समूह की तरफ से दिए गए तमाम स्पष्टीकरण के बाद भी इसके शेयरों में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है।
सर्वाधिक नुकसान अडाणी टोटल गैस लिमिटेड को हुआ है, जिसके बाजार मूल्यांकन में 80.68 फीसद की बड़ी गिरावट हो चुकी है। इसी तरह अडाणी ग्रीन एनर्जी का मूल्यांकन 74.62 फीसद घट गया है। अडाणी ट्रांसमिशन के बाजार मूल्य में 24 जनवरी से अबतक 74.21 फीसद की गिरावट आई है। वहीं अडाणी एंटरप्राइजेज का मूल्यांकन करीब 62% तक गिर चुका है।
अडाणी पावर और अडाणी विल्मर के अलावा इसकी सीमेंट कंपनियों- अंबुजा सीमेंट्स एवं एसीसी के बाजार पूंजीकरण में भी इस दौरान गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही मीडिया कंपनी एनडीटीवी और अडाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड को भी मूल्यांकन में खासा नुकसान हुआ है। अगर गौतम अडाणी की व्यक्तिगत पूंजी की बात करें तो उनका मूल्यांकन 120 अरब डालर से घटकर 40 अरब डालर (3317.02 अरब रुपए) से भी कम रह गया है। इस तरह उनके व्यक्तिगत मूल्यांकन में 80 अरब डालर (6634.04 अरब रुपए) यानी दो-तिहाई की गिरावट आ चुकी है।
अमेरिका के पूर्व वित्त मंत्री और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष लैरी समर्स ने हाल ही में अडाणी प्रकरण की तुलना एनरान मामले से करते हुए कहा था कि यह भारत का एनरान प्रकरण बन सकता है।वर्ष 2001 में अमेरिकी कंपनी एनरान कारपोरेशन पर राजस्व बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के आरोप लगने के बाद उसके शेयरों में भारी गिरावट आई थी।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने रपट में अडाणी समूह पर शेयरों के भाव चढ़ाने के लिए गलत तरीके अपनाने के आरोप लगाए हैं। उसके आरोपों के मूल में यह है कि अडाणी समूह के अधिकारियों या परिवार के सदस्यों का उन फर्मों पर किसी तरह का नियंत्रण है जो समूह की कंपनियों का स्वामित्व रखती हैं। मसलन, मारीशस में गठित ओपल इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड की अडाणी पावर में 4.69 फीसद हिस्सेदारी है।
आरोप है कि ओपल इन्वेस्टमेंट का गठन ट्रस्टलिंक इंटरनेशनल लिमिटेड ने किया था, जिसके ताल्लुक अडाणी परिवार से रहे हैं। हालांकि, अडाणी समूह ने 27 जनवरी को कहा था कि ओपल की तरफ से खरीदे जाने वाले शेयरों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं होता है।
गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी का नाम भी इस विवाद में जोर-शोर से उभरा है। हिंडनबर्ग की रपट में विनोद अडाणी पर विदेशों में गठित संदिग्ध कंपनियों के साथ जुड़ाव के आरोप लगाए गए हैं। हिंडनबर्ग के मुताबिक, विनोद अडाणी मारीशस, साइप्रस और कई कैरेबियाई देशों में गठित उन कंपनियों का प्रबंधन करते हैं जिनका अडाणी समूह के साथ चोरी-छिपे लेनदेन है।
हालांकि, समूह ने कहा कि विनोद अडाणी उसकी किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में अहम प्रबंधकीय पद पर नहीं हैं और न ही वह रोजमर्रा के कामकाज में कोई भूमिका निभाते हैं। बीते एक महीने में अडाणी एंटरप्राइजेज की तरफ से लाए गए 20,000 करोड़ रुपए के एफपीओ को पूर्ण अभिदान मिलने के बाद भी वापस लेने का फैसला काफी अहम रहा। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद शेयरों में जारी तीव्र गिरावट के बीच एफपीओ को निर्गम के अंतिम दिन पूर्ण अभिदान मिल गया था। लेकिन प्रबंधन ने संभवत: एलआइसी जैसे बड़े निवेशकों को नुकसान से बचाने के लिए इसे वापस लेने का फैसला किया।